ग्लोबल मंदी के असर से उबरकर देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है, पर रोजगार को लेकर उम्मीद व परिदृश्य पर अभी भी धुंध छाई हुई है। ग्लोबल रिसर्च फर्म बोस्टन एनालिटिक्स के सर्वे की मानें तो बीते महीने लोगों में नौकरी की सुरक्षा को लेकर चिंता और बढ़ गई। जून माह के इस कंज्यूमर कांफिडेंस सर्वे में 52 फीसदी लोगों ने कहा है कि नौकरी के प्रति सुरक्षा घटी है। मई में यह मानने वालों की संख्या 48 फीसदी थी। इस सर्वे में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता व चेन्नई समेत 15 शहरों के 10 हजार लोगों को शामिल किया गया।
एक दिन पूर्व ही एचआर फर्म टीमलीज की सर्वे रिपोर्ट ने भारत के रोजगार बाजार व कारोबार के माहौल में सुधार की बात कही थी। बोस्टन की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक हाल के महीनों में भारत का रोजगार बाजार मिले-जुले संकेत दे रहा है। पिछले महीने नौकरी की सुरक्षा को लेकर लोगों की धारणा में गिरावट आई है। यह बीते साल अगस्त के बाद सबसे निचले स्तर पर आ गई है। ऐसा आर्थिक मंदी के असर से निर्यात आधारित रत्न, आभूषण, कपड़ा व चमड़ा जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने की छंटनियों का दौर चला है। भारत की विकास दर को 9 फीसदी तक ले जाने में योगदान करने वाले आईटी, कंस्ट्रक्शन, एविएशन, वित्तीय सेवा और रीयल एस्टेट क्षेत्रों में भी कर्मियों को बड़ी तादाद में निकाला गया है। यह मंदी का ही असर है कि देश की विकास दर वर्ष 2008-09 में घटकर 6.7 फीसदी के स्तर पर आ गई।
रोजगार बाजार में उम्मीद के मोर्चे पर 22 फीसदी लोगों की राय थी कि अगले एक साल के दौरान बेरोजगारी घटेगी। मई में यह राय जाहिर करने वालों की संख्या 19 फीसदी थी। हालांकि, कंपनियां कारोबारी माहौल को लेकर आश्वस्त हैं। उन्हें उम्मीद है कि घरेलू मांग में बढ़ोतरी होगी। सर्वे के मुताबिक एफएमसीजी, खाद्य व बेवरेज, बैंकिंग, रिटेल, ऊर्जा, बुनियादी ढांचा व फार्मा क्षेत्र में भर्तियों का जोर बढ़ने लगा है। सर्वे में कहा गया है कि देश में बेरोजगारी के हालात को लेकर निराशा का रुझान बना हुआ है। करीब 24 फीसदी लोगों का कहना था कि जून में बेरोजगारी घटी है, जबकि मई में यह कहने वालों की संख्या 21 फीसदी थी।
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