कैग ने समय से करीब 17 साल बाद हाक उन्नत प्रशिक्षण विमान खरीदने के लिए भारतीय वायुसेना की खिंचाई की है। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा कर वायुसेना अपनी संचालन व प्रशिक्षण जरूरतों से समझौता कर रही है।
वायुसेना की वर्ष 1987 की जरूरतों के आकलन के आधार पर भारत ने वर्ष 2004 में बीएई सिस्टम्स से 66 प्रशिक्षण विमानों की आपूर्ति का करार किया। इनमें से 24 विमान तैयार हालत में थे जबकि बाकी के निर्माण का लाइसेंस हिंदुस्तान एयरोनाटिकल लिमिटेड [एचएएल] को मिला था।
भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक [कैग] की रिपोर्ट में वायुसेना की इस बात के लिए भी खिंचाई की गई है कि उसे विमानों की खरीद संबंधी इस करार को अंतिम रूप देने में पूरे 22 साल लग गए। उल्लेखनीय है कि पहली दफा 1982 में वायुसेना के पायलटों के प्रशिक्षण के लिए इन विमानों की जरूरत महसूस की गई थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पायलटों की क्षमताओं में इजाफे के लिहाज से बेहद जरूरी इन प्रशिक्षण विमानों को वायुसेना में शामिल करने में हुई अनावश्यक देरी से पायलटों की सुरक्षा भी प्रभावित हुई।
कैग के मुताबिक विमानों में इलेक्ट्रानिक हथियार प्रणाली लगाने में हुई देरी से इन्हें सामरिक हथियार प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सका। कैग ने इसके साथ ही विमानों के उपकरणों की खरीद में भी अनियमितता का खुलासा किया है।
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