भारतीय फौज के सीने पर एक और तमगा टंग गया। फ्रांस ने मंगलवार को अपना राष्ट्रीय दिवस मनाया तो पहली बार भारत की तीनों सेनाओं के दस्तों ने देश से बाहर किसी मुल्क की परेड में शिरकत की। पेरिस के 'राजपथ' चैंप एलीजीज पर परेड की अगुवाई की भारत की तीनों सेनाओं के मार्चिग दस्तों ने। 'कदम-कदम बढ़ाए जा..' की धुन पर भारतीय सैनिकों की चुस्त कदमताल देखकर पेरिसवासी ताली बजा रहे थे तो परेड में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के चेहरे पर फक्र के भाव साफ नजर आ रहे थे।
'बास्तील डे' की इस परेड ने भारत और फ्रांस के रिश्तों की डायरी में भी एक नया पन्ना जोड़ दिया। फ्रांसीसी क्रांति के बाद 220 सालों में यह पहला मौका था जब 'बास्तील डे' के मौके पर कोई भारतीय राजनेता मुख्य अतिथि की भूमिका में मौजूद था। परेड में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जब पेरिस के 'प्लेस दी ला कोनकोर्ड' पहुंचे तो राष्ट्रपति सरकोजी ने गर्मजोशी से मेहमान का स्वागत किया। तीनों सेनाओं के संयुक्त मिलिटरी बैंड की धुन पर परेड की अगुवाई करता भारतीय फौज का दस्ता जब चैंप्स एलीजीज से गुजरा तो पेरिसवासी झूम उठे। भारतीय फौज के मार्चिग दस्तों की अगुवाई की मराठा लाइट इंफैन्ट्री ने। इसके बाद नौसेना और आखिर में वायुसेना के दस्ते पेरिस के 'राजपथ' पर नजर आए।
फ्रांसीसी विदेश विभाग के अधिकारियों के मुताबिक परेड में भारतीय फौजी दस्तों की भागीदारी फ्रांस के लोगों को विश्व युद्ध के दौरान उनके देश के लिए भारतीय सैनिकों की कुर्बानियों की याद दिला गया।
'फ्रेंच नेशनल डे' के मौके पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मौजूदगी ने सिखों के खिलाफ भेदभाव को लेकर यदा-कदा उठने वाले सवालों को भी विराम दे दिया। परेड के मौके पर न केवल सिख मुख्य अतिथि मौजूद थे, बल्कि मौके की शान बढ़ा रहे भारतीय फौजी दस्ते में भी सिख सैनिक मौजूद थे। परेड में भारत की भागीदारी दोनों देशों के प्रगाढ़ सैन्य संबंधों और दुनिया के मंच पर बढ़ती नजदीकियों की भी बानगी पेश कर रहा थी। भारत 2008 के गणतंत्र दिवस परेड के मौके पर फ्रांस के राष्ट्रपति सरकोजी की बतौर मुख्य अतिथि मेजबानी कर चुका है।
भारत की तीनों सेनाओं के संयुक्त बैंड की धुनों पर कदमताल करते हुए जब 270 सैनिकों का दस्ता चैंप्स एलीजीज के राजमार्ग पर आगे बढ़ रहा था तो दोनों देशों के बीच मजबूत हो रहे रिश्तों की रोशनी सरकोजी और मनमोहन के चेहरे पर साफ नजर आ रही थी। गौरतलब है कि मनमोहन सरकार की दूसरी पारी में प्रधानमंत्री को भेजे बधाई संदेश में भी सरकोजी ने कहा था कि मैंने भारत को फ्रांस के एक खास भागीदार के रूप में चुना है और मैं चाहूंगा कि भविष्य में दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत हों।
दरअसल भारत में फ्रांस अपने परमाणु ऊर्जा उद्योग के लिए संजीवनी भी तलाश रहा है। यही वजह है कि पेरिस ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह [एनएसजी] में भारत के हितों की पुरजोर पैरवी तो की ही, नाभिकीय व्यापार की पहल करने में भी देर नहीं की। एनएसजी से भारत को हरी झंडी मिलने के बाद फ्रांसीसी कंपनी अरेवा भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग और भारत नाभिकीय ऊर्जा निगम के साथ दिसंबर 2008 में परमाणु रिएक्टरों की आपूर्ति का समझौता करने वाली पहली कंपनी थी।
आधुनिक फ्रांस की बुनियाद 'बास्तील'
14 जुलाई को फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस या बास्तील दिवस के नाम से भी जाना जाता है। फ्रांस में बास्तील दिवस राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है और इस दिन यहां राष्ट्रीय अवकाश होता है। बास्तील दिवस का इतिहास फ्रांस की राज्य क्रांति [1789] से जुड़ा है। फ्रांस की महान क्रांति ने दुनिया को समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व का नारा दिया। इन मान्यताओं ने आधुनिक लोकतंत्र की बुनियाद दुनिया के सामने रखी।
- फ्रांस के शासक लुई सोलहवें के शासन काल में बास्तील एक दुर्ग था जिसे कैदखाने की तरह इस्तेमाल किया जाता था।
-सम्राट लुई ने इस जेल में राजनीतिक विरोधियों को कैद कर रखा था।
-14 जुलाई 1789 को फ्रांसीसी जनता सम्राट के खिलाफ सड़कों पर उतर आई और बास्तील के किले को ध्वस्त कर कैदियों को रिहा करा दिया।
-बास्तील के किले का पतन फ्रांस में राजशाही के अंत और आधुनिक फ्रांस के जन्म का प्रतीक बन गया।
हम्म...अब तो फ्रांस को कुछ न कुछ सप्लाई करने के आर्डर तो देने ही पड़ेंगे.
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