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सोमवार, 20 जुलाई 2009

सब के ऊर्जा स्रोत डा. कलाम








प्रथम प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू के बाद पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम दूसरे ऐसे शिखर पुरुष हैं, जो अपनी व्यस्तता के बीच ज्ञान आकांक्षी बच्चों से संवाद बनाने के अवसर को रचनात्मक उत्सव में बदलते रहे हैं। चाचा नेहरू हमारा अतीत हैं। लगभग साढ़े चार दशक बाद आज के बच्चों के सामने अंकल कलाम उनका वर्तमान हैं। गुरुवार को सबने देखा कि पटना के राजभवन में अपने मेजबान नेताओं से नदी जल प्रबंधन, वैज्ञानिक खेती और नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय की रूप रेखा जैसे विषयों पर बात करने वाले डा. कलाम एक स्कूल के जिज्ञासु छात्रों के बीच भी कितने सहज थे। उन्होंने उनके मासूम सवालों का जवाब देते हुए डेढ़ घंटा बिताया और बड़ी आत्मीयता से बताया कि 'नासा' के 47 साल बाद चांद पर मनुष्य भेजने का भारतीय मिशन क्यों हमारी जरूरत है, वैज्ञानिक विलासिता नहीं। देश की आवश्यकता के अनुरूप ही कोई काम किया जाता है। हमारे लिए संचार, मौसम, रिमोट सेंसिंग आदि के लिए सेटेलाइट अंतरिक्ष में भेजना अधिक महत्वपूर्ण था। आज की प्राथमिकता दूसरी है।

मिसाइल रक्षा प्रणाली में अमूल्य योगदान करने वाले वैज्ञानिक भारतरत्न कलाम ने जब जीवन के सबसे कठिन क्षण का जिक्र करते हुए कहा कि यह वह समय था, जब उन्हें इंजीनियरिंग कालेज में अपनी स्कालरशिप को बंद होने से बचाने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ा था, तब वे अपने सामने बैठी संभावनाशील पीढ़ी के लिए प्रेरणा के साक्षात ऊर्जा स्रोत की तरह दिखे। केंद्र और राज्य की सरकारें शिक्षा प्रणाली में तरह-तरह के प्रयोग करती हैं। इसका मकसद एक विकासशील राष्ट्र को तेजी से आगेबढ़ाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिभाशाली लोगों (मानव संसाधन) की जरूरत पूरी करना होता है। इसी दृष्टि से चिकित्सा, इंजीनियरिंग, प्रबंधन, प्रशासन और सेना के तीनों अंगों में नियुक्ति के लिए सेवा कैडर बने हैं, लेकिन तकनीक के इस युग में विज्ञान क्षेत्र को इससे वंचित रखा गया है। एक प्रश्न के उत्तर में डा। कलाम ने वैज्ञानिकों के लिए अलग कैडर बनाने पर बल दिया और कहा कि इससे वैज्ञानिक शिक्षा एवं शोध को प्रोत्साहन मिलेगा। इससे पहले किसी ने इसकी जरूरत नहीं समझी। उन्होंने बिहार में नेत्र चिकित्सा के अंधेरे पहलू का भी जिक्र किया, लेकिन अभिभावक की तरह। उनके सम्मान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि डा. कलाम जब भी बिहार आते हैं, प्रदेश को नयी ऊर्जा मिलती है।

सोचिए कि बच्चों से लेकर मुख्यमंत्री तक को मित्र-मार्गदर्शक लगने वाले ऐसे शख्स आज की राजनीति में दुर्लभ या अकेले क्यों हो गए?

उनका मानना है कि ," THE PRESIDENT IS NOT ONE TO ASK ANYTHING FOR HIMSELF."

आजके राजनेता अगर उनके इस कथन से कुछ सबक ले ले तो देश का कल्याण हो जाए |

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यहाँ उनके व्यतित्व को दर्शाती कुछ तस्वीरे सब के लिए दे रहा हूँ |

समस्त मैनपुरी वासीयों की और से उनको शत शत नमन |

1 टिप्पणी:

  1. pahle mafee ki suvidha na hone se nagree me naheen likh pa raha hoon.

    DR. kalam aaj ke bhaarat ke jeete jagte bramharshi hain . is vaqt ke shayad aise vyakti jinkee taraf yah desh aadar hee naheen ummeed se bhee dekh sake .

    bahut hee ' BHALA' laga padh kar .

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