सरकार के निर्देश पर माध्यमिक शिक्षा परिषद ने अपने विनियम संशोधन का प्रारूप जारी किया है। जारी किए गए प्रारूप में नए पैटर्न से जुड़े दिशा निर्देश बताए गए है। इस प्रारूप के तहत हाईस्कूल स्तर पर दो विषयों में फेल परीक्षार्थी को उसकी इच्छानुसार किसी एक विषय में इम्पू्रव्डमेन्ट या कम्र्पाटमेन्ट परीक्षा की अनुमति जुलाई माह में दी जाएगी। ये सुविधा एक विषय तक ही सीमित रहेगी। अंकपत्र में इस आशय का अंकन नहीं किया जाएगा कि परीक्षार्थी ने उपरोक्त परीक्षा दी है। ऐसे परीक्षार्थी को उर्त्तीण होने की दशा में उसी वर्ष कक्षा 11 की परीक्षा में प्रवेश दिया जाएगा। हाईस्कूल की परीक्षा में परीक्षार्थियों के अंकपत्र तथा प्रमाणपत्र में अब प्रथम, द्वितीय व तृतीय श्रेणी का उल्लेख नहीं होगा। अंकपत्र में विषयवार अंकों का उल्लेख करते हुए पास अथवा फेल का ही अंकन किया जाएगा। अंकपत्र में विषयों के कुल प्राप्तांक का उल्लेख नहीं करने का शासनादेश जारी हुआ है। हाईस्कूल की पूरक परीक्षा अथवा एक विषय में प्रविष्ट होने वाले परीक्षार्थी से 250 रुपये का शुल्क वर्ष 2010 में होने वाली परीक्षा से प्रभावी होगा। हाईस्कूल स्तर पर प्रत्येक विषय में केवल एक प्रश्नपत्र के आधार पर ही परीक्षा होगी। प्रत्येक विषय में एक प्रश्नपत्र 100 अंकों का होगा। उक्त व्यवस्था कक्षा 9 में वर्ष 2010 से तथा कक्षा 10 में 2011 से लागू करने के निर्देश दिए गए है।
हाईस्कूल स्तर पर विभिन्न विषयों में प्रयोगात्मक कार्यो का आन्तरिक मूल्यांकन पांच प्वाइंट स्कूल ग्रेडिंग के आधार पर किया जाएगा और ग्रेड को अंकपत्र में प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अलावा माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा हाईस्कूल की परीक्षा 2010 में क्रेडिट सिस्टम लागू करने की तैयारी की जा रही है। क्रेडिट सिस्टम में अनुत्तीर्ण परीक्षार्थी जिन विषयों में उत्तीर्ण हो जाएंगे उन्हें अगले वर्ष परीक्षा में पुन: उसी विषय की परीक्षा नहीं देनी पड़ेगी। केवल उन्हीं विषयों में परीक्षा देनी पड़ेगी जिसमें परीक्षार्थी फेल हुआ है। इसमें प्रतिबंध ये होगा कि तीन वर्षो के ऐसे छात्रों को संस्थागत परीक्षार्थी के रूप में हाईस्कूल की परीक्षा हरहाल में उत्तीर्ण करनी होगी। ऐसा ना कर पाने पर परीक्षार्थी प्राइवेट परीक्षा ही देने के पात्र माने जाएंगे।
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