सदी का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण 22 जुलाई को लगने जा रहा है। भारतीय समयानुसार यह सुबह के छह बजकर 24 मिनट दस सेकेंड पर लगेगा। उस दिन सूर्योदय पांच बजकर 20 मिनट पर होना है। इस दौरान तीन मिनट का समय ऐसा होगा जब दिन में भी पूरी तरह से अंधेरा छा जाएगा। वैज्ञानिक जहां खगोलीय दृष्टि से मानव के साथ पशु-पक्षियों पर इसके प्रभाव के अध्ययन की तैयारियां शुरू कर रहे हैं वहीं ज्योतिषी भी सूर्य ग्रहण के प्रभाव व दुष्प्रभाव पर नजर गड़ाये हैं। बच्चों में भी खूबसूरत नजारों को देखने की उत्सुकता है। जैसे-जैसे अद्भुत क्षण नजदीक आता जा रहा है, प्रकृतिप्रेमियों के साथ खगोलविदों की निगाहें अधिक सतर्क होती जा रही हैं।
सूर्य ग्रहण के दौरान पौराणिक काल से ही नदियों में स्नान का विशेष महत्व माना गया है। बुधवार को इलाहबाद, वाराणसी, कानपुर, गढमुक्त्तेश्वर में भी सुबह से ही बड़ी संख्या में लोगों के घाट पर पहुंचने की संभावना है। ऐसे में जिला प्रशासन भी विशेष व्यस्था करने में लगा है।
ग्रहण के प्रभाव की विभिन्न पहलुओं से अध्ययन की तैयारी
सूर्यग्रहण 22 जुलाई को है लेकिन खगोलीय दृष्टि से अध्ययन करने की तैयारियां शुरू हो गयी हैं। यहां के बड़ोखर पहाड़ पर मंगलवार को प्रकृतिप्रेमी व खगोल विज्ञानी डेरा जमा लेंगे। यहां से ग्रहण का दृश्य कुछ अलग हटकर होगा। पहाड़ के आसपास 21 जुलाई की दोपहर से 22 जुलाई की सुबह 7.30 बजे तक खगोल उत्सव सा नजारा रहेगा। जहां व्याख्यान के भी आयोजन किये गये हैं। जवाहर नक्षत्रशाला की ओर से बड़ोखर पहाड़ पर विशेष इंतजाम हैं। यहां पर बच्चों को रोचक जानकारियां दी जाएंगी। नक्षत्रशाला के निदेशक प्रमोद पाण्डेय ने बताया 22 जुलाई को प्रात: चार बजे पहाड़ पर चढ़ने का उपक्रम शुरू होगा। सुबह 5.30 से 7.30 बजे तक ग्रहण का दीदार किया जायेगा। ग्रहण को स्पेशल सौर फिल्टर चश्मे से या किसी कागज या पर्दे पर प्रक्षेपित प्रतिबिम्ब के माध्यम से देखा जायेगा। कोरांव में सबसे अधिक समय करीब तीन मिनट तक पूर्ण सूर्यग्रहण का नजारा उपस्थित होने की संभावना है। इस क्षण विशेष को कुछ लोग यादगार बनाना चाहते हैं। सूर्यग्रहण और उसके प्रभावों का अध्ययन करने के लिए बाहर से भी वैज्ञानिकों का दल यहां आ रहा है। सभी बड़ोखर की पहाड़ियों पर डेरा डालेंगे और विशेष खगोलीय उपकरणों से ऐतिहासिक पल के चित्र व तथ्य कैद करेगे।
ग्रहण के 12 घंटे पहले ही सूतक
सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पहले सूतक लग जाता है। श्री धर्मज्ञानोपदेश संस्कृत महाविद्यालय इलाहाबाद के प्राचार्य देवेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी ने बताया ग्रहण के 12 घंटे पूर्व ही ग्रहण सूतक लग जायेगा। इस अवधि में भोजनादि कार्य प्रतिबन्धित है। सूर्य ग्रहण में चार प्रहर पहले व चन्द्रग्रहण में तीन प्रहर पहले स्वस्थ और शक्त लोगों को भोजन नहीं करना चाहिए। प्राचार्य ने बताया कि ग्रहण के प्रारंभ में स्नान फिर मध्य में हवनादि और मोक्ष के बाद स्नान दान करने का विधान है। ग्रहण के स्नान में कोई मंत्र नहीं बोलना चाहिए।
ग्रहण में तेल, घी से बने अन्न दूषित नहीं
आद्य ज्योतिष अनुसंधान इलाहाबाद के अध्यक्ष ज्योतिर्विद् आदित्य कीर्ति त्रिपाठी का कहना है ग्रहण के समय दूध, माठा, दही, तेल, घी में पकाया हुआ अन्न पानी ये सूतक काल में दूषित नहीं होते।
राजाजी नेशनल पार्क के लिए दी गई अनुमति
सूर्य ग्रहण के दौरान पक्षियों के व्यवहार में आने वाले परिवर्तन का अध्ययन करने के लिए भारतीय सर्वेक्षण संस्थान के दो वैज्ञानिकों को अनुमति दी गई है। वैज्ञानिक राजाजी नेशनल पार्क में पक्षियों की दिनचर्या में होने वाले बदलाव पर अध्ययन करेंगे। सूर्य ग्रहण का जीवों के साथ-साथ पक्षियों की दिनचर्या पर भी पडे़गा। ग्रहण शुरू होने के बाद पक्षियों के व्यवहार में क्या बदलाव आएगा, वे किस प्रकार का व्यवहार करना शुरू कर देंगे, आदि तमाम बातों के लिए राजाजी नेशनल पार्क में अध्ययन के लिए दो वैज्ञानिकों ने अनुमति मांगी है।
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