जिले में लगातार प्रमुख सचिव, अपर सचिव के दौरे हो रहे हैं। लेकिन साहब कमाल की बात तो यह है कि यहां के जिला चिकित्सालय में एक वर्ष से हृदय रोग विभाग डाक्टर विहीन चल रहा है। इस पर कोई कुछ करने की जहमत क्यों नहीं उठा रहा है।
बताते चले कि यहां का महाराजा तेज सिंह राजकीय जिला चिकित्सालय में डाक्टरों का टोटा है। बावजूद इसके यहां मरीजों की संख्या में बेहताशा वृद्धि हो रही है। यदि जिला चिकित्सालय की स्थिति पर नजर डाले तो यहां रेडियोलॉजिस्ट, एक नेत्र सर्जन, एक फिजीशियन, एक इमरजेंसी मेडीकल अफसर, दो पद एसएमओ, एक चर्म रोग विशेषज्ञ, चेस्ट फिजीशयन, स्किन फिजीशन रेडियोथेरेपिस्ट के अलावा कार्डियोलाजी विभाग एक वर्ष से चिकित्सक विहीन चल रहे है । ऐसा नहीं कि कार्डियोलाजी विभाग में डाक्टर लाने के लिए प्रयास नहीं हुए तत्कालीन सीएमओ डा.ज्ञान सिंह ने करहल में कार्यरत डा. रवीन्द्र सिंह यादव कार्डियोलाजिस्ट ,नेत्र सर्जन डा. सर्वेश यादव को कुरावली , तथा डा. केके शर्मा, डा. रामलखन को जिला चिकित्सालय स्थानान्तरित किया। इनके स्थानान्तरण के बाद स्वास्थ्य मंत्री अनंत कुमार उर्फ अन्टू मिश्रा के मैनपुरी आगमन पर पत्रकारों ने उनके समक्ष यहां डाक्टरों की कमी की बात रखी तो उन्होंने तत्कालीन सीएमओ डा. ज्ञान सिंह को काफी लताड़ा तथा तत्कालीन प्रमुख सचिव नीता चौधरी तक से इन डाक्टरों के विरूद्ध कार्यवाही करने की बात फोन पर कर डाली। लेकिन कमाल की बात तो यह रही कि ये डाक्टर तो नहीं आये सीएमओ डा. ज्ञान सिंह को जरुर हटा दिया गया और स्थिति फिर जस की तस हो गयी। जिला चिकित्सालय में कार्डियोलाजिस्ट नहीं होने की जानकारी जिलाधिकारी को मिली तो उन्होंने डा. रवीन्द्र सिंह यादव को तीन दिन करहल तथा तीन दिन मैनपुरी में कार्य करने का फरमान जारी कर दिया। लेकिन डा. सिंह भी कम खिलाड़ी नहीं वह लम्बी छुट्टी लेकर निकल लिए अब यहां के कार्डियोलाजी विभाग की स्थित काफी नाजुक है। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. अवधेश शर्मा से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि वहां जो भी चिकित्सक है उनसे बेहतर कार्य लेने का प्रयासरत हैं।
अब एक नज़र जिले के महिला चिकित्सालय को भी देखे .................
जिला महिला चिकित्सालय को यहां मात्र दो चिकित्सक 24-24 घंटे ड्यूटी कर चिकित्सालय चला रही है।
महिला चिकित्सालय में प्रतिदिन 7-10 डिलीवरी का एवरेज है उसमें 24 घंटे एक डाक्टर कार्य कर रही है। जब भीड़ की स्थित नहीं संभलती है तो यहां की सीएमएस डा। रेखा कटारा स्वयं डिलीवरी तथा ओपीडी में मरीज देख रही है। जबकि जिले के तमाम सा।स्वा. केन्द्रों पर महिला चिकित्सक कार्यरत हैं।
वैसे जिला चिकित्सालय में मरीजो के पर्चे पर आप को एक लाइन अक्सर ही लिखी दिख जायेगी और वोह है " REFERRED TO AGRA." | अब इस सुरत -ऐ- हाल में अगर जिले में झोला छाप डाक्टरों की भीड़ मोटी कमाई में लगी है तो क्या ग़लत है ?? आख़िर मरीज को तो मरना है ही चाहे सरकारी डॉक्टर के आभाव में या फ़िर इन झोला छाप डाक्टरों की दवाई से !! मैनपुरी में लोगो के ऊपर आने जाने की पूरी जिम्मेदारी इन सरकारी और झोला छाप डाक्टरों ने बखूबी संभाली हुयी है .......................... बस आप सेवा का मौका तो दीजिये ||
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