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गुरुवार, 9 जुलाई 2009

सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय -- प्रमुख सचिव परिवहन के निरीक्षण का कड़वा सच

लो एक और निरीक्षण निपट गया। न शिकवा न शिकायतें न ही गड़बड़ियों पर कोई प्रभावी फटकार। प्रमुख सचिव आये और चले गये। निरीक्षण के नाम पर महज खानापूर्ति। अधिकारी निकले बेदाग। बेचारे सफाई कर्मियों पर ही सारी मार। क्या ऐसे ही सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय का सपना होगा साकार। आकस्मिक निरीक्षण की जमकर खिल्ली। पांच दिन पूर्व तय शुदा अम्बेडकर गांव का निरीक्षण करके ही निकल लिये प्रमुख सचिव गोविन्दन नायर। अब आप ही बताइये जनता का क्या होगा।

प्रमुख सचिव परिवहन गोविन्दन नायर के निरीक्षण का दिन था। मुख्यमंत्री के निर्देशों तले उनके दूत बनकर आये प्रमुख सचिव को जमीनी हकीकत की धरातल पर पड़ताल करनी थी। वे आये जमीनी हकीकत जानने गये भी मगर निरीक्षण के दौरान रामराज्य नजर आया। ऐसा रामराज्य जिसके लिये पिछले 5 दिनों से जिला प्रशासन तानाबाना बुनने में जुटा हुआ था। सारी व्यवस्थाएं नीट एंड क्लीन दिखीं। हालांकि जमीनी सच्चाई इससे इतर रही। प्रमुख सचिव ने मंगलवार की देर सायं मैनपुरी पहुंचे। निर्देश थे कि मुख्यमंत्री की प्राथमिकता में शामिल अम्बेडकर ग्रामों का औचक निरीक्षण करना है। जनपद के 18 अम्बेडकर ग्राम जहा सीसी मार्गो का निर्माण हो रहा है को प्राथमिकता दी जानी थी। परंतु जिला प्रशासन की उंगलियों पर नाचते हुये निरीक्षण पूरा कर लिया गया। प्रमुख सचिव ने मंछना का ही निरीक्षण किया। सारी व्यवस्थाएं चाक चौबंद मिलीं। मिलती भी क्यों न पिछले 5 दिनों से जिलाधिकारी, प्रभारी मुख्य विकास अधिकारी, अधीनस्थ जिले के विभिन्न विभिन्न विभागों के आलाधिकारी, बीडीओ और जागीर ब्लाक के 40 सफाई कर्मी मंछना में डेरा जमाये हुये थे। दिन तो दिन रात में भी मंछना के लोगों की खुशामद का अभियान चला। घर-घर की सफाई हुयी। पिछले दो जुलाई को प्रमुख सचिव गृह, कैबिनेट सचिव द्वारा अम्बेडकर ग्राम दलपुरा की दलित बस्ती का निरीक्षण किया गया जहां गंदगी पर नाराजगी जाहिर की गयी। इसी का ही असर रहा। इस बार गंदगी को लेकर प्रशासन अत्यधिक सतर्कता बरती। एक गांव में 40 सफाई कर्मी पांच दिनों तक सफाई कार्य करते रहे। इसी दौरान एक विकलांग सफाई कर्मी टै्रक्टर पलटने से घायल भी हो गया। संवेदनहीनता तो देखिये बीडीओ जागीर ने उस घायल का हाल चाल तक न पूछा। निरीक्षण के दौरान प्रमुख सचिव ने गलियां भी देखीं। परंतु गांव वालों को वृद्धावस्था आदि पेंशनों की कितनी जरूरत है इस पर चर्चा नहीं हुई और न ही ग्रामीणों की शिकायत पर प्रभावी शब्दावली का इस्तेमाल हुआ। हां बीएसए महोदय का प्लान जरूर फेल नजर आया। पहले से ही पढ़ाकर लाये गये बच्चों ने बीएसए की पोल खोल दी। प्रमुख सचिव ने बच्चों से मिड डे मील के सवाल किये और मंगलवार को क्या खाया पूछा तो बच्चे कहने लगे दलिया। तो प्रमुख सचिव ने कहा कि मंगलवार को तो गुरु पूर्णिमा की छुट्टी थी फिर कैसे खाया इस पर सचिव और डीएम दोनों मुस्काये। बीएसए सकपकाये मगर सब रफा-दफा हो गया।

सच में येही तो है "सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय"|

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