दुनिया की सबसे सस्ती कार नैनो ने अब लोगों के घरों की ओर रुख कर लिया है। देश की दिग्गज वाहन कंपनी टाटा मोटर्स की इस कार को सबसे पहले अपने घर जाने का गौरव यहां के रघुनाथ विचारे को मिला। यहां शुक्रवार को आयोजित एक समारोह में कंपनी के चेयरमैन रतन टाटा ने विचारे को पहली नैनो की चाबी सौंपी। इसे पाकर रघुनाथ निहाल हो गए। इसके साथ ही यह लखटकिया कार सड़कों पर जलवा बिखेरने निकल पड़ी।
विचारे को चाबी देने के बाद रतन टाटा ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि नैनो उन लोगों को मोटर चलाने का अद्भुत आनंद देगी, जो पहली बार कार खरीद रहे हैं। पहले से कार रखने वालों को भी यह गाड़ी खासा मजा देगी, अगर वे एक आधुनिक, स्मार्ट और कम उत्सर्जन वाली कार चाहते हैं।
विचारे नैनो का एलएक्स [लूनर सिल्वर] माडल खरीदा है। यह कार का महंगा माडल है। विचारे को यह कार सौंपने के साथ पहली एक लाख नैनो की डिलीवरी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जो अगले साल मार्च तक पूरी हो जाएगी। विचारे के साथ ही निजी क्षेत्र के एचडीएफसी बैंक के कर्मचारी आशीष बालकृष्णन और एक अन्य ग्राहक ने भी नैनो की डिलीवरी ली।
नैनो को इस साल 23 मार्च को औपचारिक तौर पर लांच किया गया था। इसके लिए 2 लाख 5 हजार लोगों ने बुकिंग कराई थी। टाटा मोटर्स पहले ही इनमें से एक लाख 55 हजार उन किस्मती ग्राहकों का चयन कर चुकी है, जिन्हें साल भर के भीतर नैनो मिल जाएगी। हालांकि केवल शुरुआती एक लाख ग्राहक की लाख रुपये में नैनो की सवारी का लुत्फ उठा पाएंगे।
लगे हाथ एक तथ्य का मैं भी खुलासा कर दूं कि नैनो इतनी सस्ती कैसे दी गई है। विचारे तो हम हुए जिन्होंने पिछले वर्ष टाटा मोटर्स की गाडि़यां की खरीद की। मसलन मैंने माच्र 2008 में टाटा इंडिका जीटा पेट्रोल संस्करण की खरीद की जो मुझे नई दिल्ली में तीन लाख पच्चीस हजार के लगभग मिली। कल एक विज्ञापन में टाटा मोटर्स ने इसकी कीमत तीन लाख पन्द्रह हजार दी है। इसमें सीएनजी कंपनी से लगकर मिल रही है जबकि मैंने इसमें अलग से टाटा प्राधिकृत सीएनजी सिक्वल किट 67 हजार रुपये में लगवाई थी। तो लगभग एक लाख रुपया एक कार पर टाटा मोटर्स ने अधिक लिया। यह तो एक कार की बात है। ऐसी न जानें कितनी कारें टाटा मोटर्स ने बेचीं तो विचारे तो अविनाश वाचस्पति हुए। जिन्होंने बिना विचारे एक साल पहले टाटा इंडिका जीटा पेट्रोल खरीद ली और उसका इंजन भी दोषपूर्ण निकला और जुलाई 2008 में मात्र 3000 किलोमीटर चलने पर ही सीज हो गया। जिससे कंपनी ने इसका इंजन बदला। आज भी इस कार में येन केन प्रकारेण खराबियां तंग करती रहती हैं। नई कार खरीदने का जो सुकून है वो मैंने महसूस ही नहीं किया। जबकि अगर पुरानी कार खरीदी गई होती तो शायद न इतनी परेशानी होती और न इतना दुख होता। क्या रतन टाटा जी इस मामले पर विचार करेंगे। मैं यह यहां पर इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि माननीय रतन टाटा जी तक मेरी गुहार नहीं पहुंच पा रही है और न उनकी ई मेल ही मुझे मिल रही है और न ही प्रबंधन द्वारा दी जा रही है।
जवाब देंहटाएंमेरी शिकायत पिछले वर्ष जहां प्रकाशित हुई थी उसका लिंक दे रहा हूं, पाठक पढ़ सकते हैं http://www.moltol.in/index.php/20080705849/Khash-Feature/Complaint-from-Tata-Indica-car.html
चलो, सिलसिला शुरु हुआ.अविनाश जी, रतन टाटा को पत्र लिखिये न! ईमेल नहीं मिल रहा तो क्या हुआ, पोस्ट से भेज दिजिये.
जवाब देंहटाएंअविनाश जी ,
जवाब देंहटाएंcnbc जैसे तमाम चैनल है जो कंपनी और उपभोगता के बीच विवादों का निबटारा करवाते है एक बार कोशिश कर के जरूर देखे |