कारगिल की चोटियों पर सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाते वीरगति को प्राप्त हुए पोर्टरों की कुर्बानियां इतिहास के पन्नों में गुम हो गई हैं। युद्ध के दौरान अपने कंधों पर गोला-बारूद चोटियों तक पहुंचाते हुए राज्य के सात पोर्टर वीरगति को प्राप्त हुए थे। लेकिन न तो उनके शहीदी दिवस मनाए जाते हैं और न ही उनके परिजनों को कारगिल युद्ध की याद में होने वाले समारोहों में बुलाया जाता है।
वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान सेना की उत्तरी कमान को पोर्टरों की कमी महसूस हुई थी। इसके लिए जम्मू जिले के अखनूर इलाके के युवा खासी तादाद में आगे आए थे। छह जून 1999 को ये युद्ध मैदान के लिए रवाना हुए थे। इनमें से सात के शव वापस आए थे। जिनमें तीन सांबा जिले के नड इलाके के एक ही परिवार के थे। इनमें रैंबल के कमलेश , सांबा मेंनड के दिलेर सिंह, प्रद्युमन सिंह, मदन सिंह, रामनगर में माही गांव के शाम सिंह, नेपाली खान बहादुर गदरा व लेह में गढ़ानून के सीरिंग मोटुप शामिल थे। इनके साथ पचास के करीब युवा घायल भी हुए थे।
सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल वाईएम बामी ने कारगिल पर अपनी किताब में भी इन पोर्टरों की बहादुरी का जिक्र किया है। सांबा के नड इलाके के सूरम सिंह, धनेतर सिंह व ध्रुव सिंह के परिवारों को यह मलाल है कि उनके बच्चों को आज वैसे याद नहीं किया जाता है, जैसे की कारगिल में शहीद सैनिकों को किया जाता है। उनका कहना है कि भले ही उनके बच्चे बंदूक लेकर मैदान में नहीं गए थे पर युद्ध के मैदान में जाने का उनका जज्बा किसी से कम नहीं था।
वहीं, युवाओं को रणभूमि में भेजने के लिए प्रेरित करने वाले टांडा टाईगर फोर्स के संयोजक के पी सिंह भी महसूस करते हैं कि शहीद पोर्टरों के परिवार को भुला दिया गया है। उनका कहना है कि काफी प्रयासों के बाद अब जम्मू के चट्ठा में रह रही कमलेश कुमार की पत्नी वीना देवी को कृषि विभाग में नौकरी दिलवाई गई।
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सिविल होने के बावजूद सेना ने इन वीरों को प्रोत्साहित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। उन्होंने बताया कि तीन हजार से अधिक इन युवाओं में से एक हजार से अधिक युवाओं को बाद में सेना में भी भर्ती किया गया।
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आज जब फ़िर से २६ जुलाई आने को है क्यों न एक बार सच्चे दिल से भारत माँ के उन सब सपूतो का हम नमन और वंदन करे जिन्होंने अपना आज केवल इस लिए बलिदान कर दिया ताकि हम सब का आने वाला कल निखर सके |
समस्त देश वासीयों की ओर से सभी अमर शहीदों को मेरा शत शत नमन |
जय हिंद !!
उन अमर शाहीद बहादुर जवानों को मेरा सलाम!!
जवाब देंहटाएंउनकी याद दिलाने के लिए आभार .. सभी अमर शहीदों को मेरा शत शत नमन !!
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