करीब पांच साल पहले रतन टाटा ने आम जनता की कार बनाने का सपना देखा था। उनका यह सपना पूरा हो गया है। टाटा शुक्रवार को अपनी इस महत्वाकांक्षी परियोजना नैनो की चाभी पहले ग्राहक को सौंपेंगे।
टाटा ने नैनो का सपना 2003 में देखा था और 2008 में इस बहुप्रतीक्षित कार को लांच किया गया। और अब 2009 में नैनो की डिलीवरी की जा रही है। वैसे देखा जाए तो आमतौर पर नैनो की यह यात्रा कई अड़चनों के बाद पूरी हुई है। पिछले साल पहली बार दिल्ली आटो एक्सपो में इस कार को पहली बार पेश किया गया था। टाटा की नैनो परियोजना काफी हद तक हमेशा विवादों के घेरे में रही। प. बंगाल के सिंगूर में नैनो के प्रस्तावित संयंत्र का ममता बनर्जी और उनकी पार्टी ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए पुरजोर विरोध किया।
इस विवाद के चलते टाटा ने नैनो परियोजना को सिंगूर से हटाकर गुजरात ले जाने का फैसला किया। लेकिन टाटा की इस महत्वाकांक्षी कार की लोकप्रियता उस समय देखने को मिली जब इस साल के शुरू में नैनो की बुकिंग शुरू हुई। वाहन क्षेत्र में मंदी के बावजूद नैनो की 2.05 लाख बुकिंग हुई।
पहली खेप के तहत 1. 55 लाख नैनो की डिलीवरी की जाएगी। घोषणा के अनुरूप पहली एक लाख कारें एक लाख रुपए की कीमत पर बेची जाएंगी। जिससे नैनो दुनिया का सबसे सस्ता चारपहिया वाहन बन जाएगी।
टाटा ने कभी कहा था वादा तो वादा होता है। और अपने इसी वादे को निभाते हुए वह कल पहले ग्राहक को नैनो की चाभी सौंपेंगे। कंपनी का इरादा पहली एक लाख नैनो की डिलीवरी मार्च 2010 तक करने का है। अगली 55021 कारों की डिलीवरी के चयन की प्रक्रिया पूरी हो गई है। यह कार यानी नैनो 623 सीसी के रियर इंजन वाली है। और एक लीटर में 23 किलोमीटर दौड़ सकती है।
तीन अलग-अलग संस्करणों के लिए कार की कीमत 1.23 लाख रुपये से 1. 72 लाख रुपये [एक्स शोरूम दिल्ली] के बीच है। फिलहाल नैनो का उत्पादन पंतनगर संयंत्र में किया जा रहा है। इस संयंत्र की सालाना उत्पादन क्षमता 50000 इकाई की है।
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