कारगिल का नाम सुनते ही देश भर में शहीदों की याद ताजा हो जाती है। इस जिले के पांच वीर सपूत दुश्मनों से लोहा लेते हुये शहीद हो गये। पूरे जिले ने उनकी शहादत को सलाम किया। बेवर क्षेत्र के ग्राम गढि़या घुटारा निवासी ग्रेनेडियर सिपाही मुनीष कुमार, अंजनी के सिपाही प्रवीन कुमार 3 जून को कारगिल चोटी पर शहीद हुये। किशनी के ग्राम दिवन्नपुर के हवलदार अमरुद्दीन ने 3 जुलाई को सीमा की रक्षा करते हुये अपने प्राणों की आहुत दे दी। कुरावली के ग्राम नगला आंध्रा निवासी सिपाही हेमचरन ने 23 जुलाई को तथा घिरोर के ग्राम शाहजहांपुर निवासी सत्यदेव ने 24 जुलाई को अपने प्राणों की परवाह न करते हुये शहादत दी। इन वीर सपूतों ने तो इतिहास में अपना नाम लिखवा दिया। परंतु सरकार ने भी इनकी सहादत का सम्मान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। शहीद मुनीष कुमार की पत्नी मंजू को गैस एजेंसी शहीद प्रवीन की पत्नी को भी गैस एजेंसी तथा शहीद सत्यदेव के पुत्र को भी गैस एजेंसी आवंटित की गयी है। शहीद हेमचन्द्र की पत्नी को शिकोहाबाद में गैस एजेंसी दी गयी है, वहीं अमरुद्दीन की पत्नी मोमना देवी को किशनी में गैस एजेंसी दी गयी। शहीद सत्यदेव की पत्नी विमला देवी, शहीद हेमचरन की पत्नी संगीता देवी का निधन हो चुका है। पांचों शहीदों को केन्द्र व प्रदेश सरकार ने उनकी शहादत के कुछ दिनों बाद ही 10-10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी है। शहीदों के आश्रितों को पेंशन भी निर्बाध रूप से जिला सैनिक कल्याण बोर्ड द्वारा दिलाई जा रही है।
कारगिल युद्ध अपवाद नहीं है। पूर्व में भी कोई भी युद्ध रहा हो मैनपुरी के सपूतों ने आगे बढ़कर दुश्मनों के सीने पर गोली मारी है और अपने सीने पर गोली खाकर सीमाओं की रक्षा की है। यहां कमलेश्वर जैसे कलमकार देश के अंदर के हालातों के लिये लडे़ हैं तो सीमा की रक्षार्थ यहां के युवाओं ने प्राणों की आहुति देने में कोई हिचक महसूस नहीं की। आज जनपद भर में कारगिल शहीद की याद में विभिन्न कार्यक्रम होंगे।
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