सूर्यग्रहण पट्टी में ऐतिहासिक खगोलीय घटना का गवाह बनने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त स्थान साबित होने के बाद आर्यभट्ट की धरती तारेगना इसके लिए पूरी तरह तैयार है।
दुनिया भर से वैज्ञानिकों का हुजूम अपने पूरे साजो सामान के साथ बिहार के तारेगना स्थान से सूर्यग्रहण का नजारा देखेगा। मुख्यमंत्री समेत विशिष्ट लोगों के लिए अनुमंडल का रेफरल अस्पताल तो अन्य लोगों के लिए तारेगना के गांधी मैदान, सेंट मैरी स्कूल तथा सेंट माइकल स्कूल को तैयार किया गया है। तारेगना में तैयारियों और शहर में बाहरी लोगों के जमघट से स्थानीय लोगों के कौतूहल को पंख लग गए हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद 21 जुलाई की शाम तारेगना पहुंच जाएंगे। 22 की भोर में वह इसकी छत पर बनाए गए विशेष मंच से सूर्य ग्रहण का नजारा लेंगे। रेफरल अस्पताल की छत पर ही कुछ खास वैज्ञानिक सूर्यग्रहण देखने के लिए अपने उपकरण भी स्थापित करेंगे। इसके अलावा पटना से पहुंच रहे अन्य विशिष्ट अतिथियों के लिए अनुमंडल कार्यालय के मैदान में भी व्यवस्था की गयी है। पूरे परिसर की सुरक्षा व्यवस्था भी चाक चौबंद है।
विभिन्न विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों के वैज्ञानिक और छात्र भी 21 जुलाई की शाम तक तारेगना पहुंच जाएंगे। इस सिलसिले में अखिल भारतीय जनविज्ञान नेटवर्क एवं भारत ज्ञान विज्ञान समिति से जुड़े एवं पूर्व राष्ट्रपति डा. ए पी जे अब्दुल कलाम के सहयोगी रहे डा. एम पी परमेश्वरन, नेटवर्क के अध्यक्ष सी पी नारायणन, महासचिव डा. अमित सेनगुप्ता, राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद के वैज्ञानिक शशि आहूजा, भारत ज्ञान विज्ञान समिति के सचिव आशा मिश्र, मुख्य रूप से राजधानी पहुंच गए हैं। स्पेस के डा. विक्रांत नारंग भी 21 की शाम तक तारेगना पहुंच जाएंगे।
पटना तथा अन्य जगहों से पहुंच रहे लोगों ने सूर्यग्रहण देखने को स्थानीय लोगों के मकान की छतें भी बुक करा ली हैं। बाहरी लोगों की हलचल और यहां चल रही प्रशासनिक तैयारियों ने पूरे माहौल में उत्सुकता घोल दी है। आर्यभट्ट की धरती का होने का गौरव उनके हावभाव में झलक जाता है।
नासा की रिपोर्ट से सुर्खियों में आया तारेगना
पर्यटकों का रुख तारेगना की ओर करने में अमेरिका के नेशनल एरोनाटिक एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन [नासा] द्वारा इस सूर्य ग्रहण के संबंध में जारी करीब 200 पृष्ठों की रिपोर्ट ने अहम भूमिका निभाई है। रिपोर्ट में सूर्यग्रहण के संदर्भ में तारेगना की खूबियां गिनाई गई हैं।
नासा के मुताबिक तारेगना में बदली छाने की औसत संभावना इलाहाबाद में 77 और बनारस में 71 प्रतिशत के मुकाबले 63 प्रतिशत है। साथ ही धूप की चमक [सनशाईन] का औसत मुंबई के 18 प्रतिशत, इंदौर के 25 प्रतिशत, इलाहाबाद के 34 प्रतिशत के मुकाबले तारेगना में 43 प्रतिशत है। तारेगना में ये दो फैक्टर नेपाल, बांग्लादेश, भूटान एवं चीन से बेहतर हैं जहां ये सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। ऐसे में सूर्य ग्रहण के नजारे के लिए यह सबसे बेहतर स्थान है।
वाकई यह तो बेहतर जगह है -हम तो यहीं बनारस में ही डेरा तम्बू तान रहे हैं !
जवाब देंहटाएंबढ़िया पोस्ट लगाई है।
जवाब देंहटाएं१०० वी पोस्ट की बहुत-बहुत बधाई!
sabhee ko इस अवसर का लभ उठाना चाहिये
जवाब देंहटाएंबढ़िया जानकारी!!
जवाब देंहटाएं१०० वीं पोस्ट की हार्दिक बधाई.
तरेगना यानि मसौढ़ी का नाम लोग सामान्यतः नक्सली और असमाजिक तत्वों की बहुतायत के लिए लिया करते थे। पर इस सूर्यग्रहण और आर्यभट से इस कस्बे के ऐतिहासिक जुड़ाव से इस छवि को बदलने का ये सुनहरा मौका हाथ लगा है।
जवाब देंहटाएंआप सब के सुझावों और बधाई संदेशो के लिए बहुत बहुत धन्यवाद्|
जवाब देंहटाएंआशा है आगे भी आप सब का सहयोग मिलता रहेगा|