दाल रोटी खाओ प्रभु के गुन गाओ। ये जुमला अब बीते जमाने की बात बन चुका है। रोटी भी महंगी है और दाल के भाव तो करंट मार रहे हैं। इन्हीं की देखा-देखी अब सब्जियों का राजा आलू भी थाली से गायब होने लगा है। 16 से 20 रुपये प्रति किलो बिक रहे आलू के भावों से अमीर हो या गरीब हर वर्ग हलकान है। इस जिले को आलू की बम्पर पैदावार के लिये देश भर में जाना जाता है। हर साल 15 से 20 लाख कुंतल आलू का भण्डारण इसी जिले में होना इस बात की गवाही भी देता है। इस बार आलू के भाव ऐसे चढे़ हैं कि उतरने का नाम ही नहीं ले रहे। आलू के भावों की तेजी से आम आदमी परेशान है तो व्यापारियों और बड़े़ किसानों की बल्ले-बल्ले हो गयी है। जुलाई के 20 दिन गुजर चुके हैं। जिले के कोल्ड स्टोरेजों से भंडारित आलू की 5 प्रतिशत निकासी हो पाई है। आलू के भावों के लिये निकट भविष्य के लिये ये बड़ी खतरे की घण्टी है ऐसा आलू के कारोबारी कहने लगे हैं।
मैनपुरी का आलू ! देश की बड़ी मंडियों में यहां के आलू की यही पहचान है। मुम्बई जैसी बड़ी मंडी मैनपुरी के आलू की बड़ी डिमांड है इसका कारण भी है। यहां के आलू का चमकता कलर और मीडियम साइज मंडियों के व्यापारियों को आकर्षित करता है। देश के अन्य जिलों की अपेक्षा मैनपुरी, सिरसागंज का आलू अधिक कीमत पर बिकता है। पिछले वर्ष आलू के दुर्दिनों ने किसानों के सपनों पर तुषारापात करने का काम किया। आलू को फ्री में भी खरीददार नहीं मिला। आलम ये रहा कि 5 से 7 कुंतल आलू स्टोरेज संचालकों को फेंकने के लिये पैसे खर्च करने पडे़। ये आलू किसान लेने ही नहीं पहुंचा। ठीक 6 महीने बाद स्थिति एकाएक बदली है। जिस आलू को 6 महीने पूर्व फ्री में भी कोई लेने नहीं रहा था। वही आलू अब 16 से 20 प्रति किलो के भाव पर पहुंचा है। आलू के भाव लगातार स्थिर बने हुये हैं।
जहां तक जिले में आलू भंडारण का सवाल है तो जनपद के 26 कोल्ड स्टोरेजों में 20 लाख कुंतल की क्षमता के सापेक्ष इस बार 13 लाख कुंतल आलू का भंडारण हुआ जबकि पिछले वर्ष 23 स्टोरेजों में 16 लाख कुंतल आलू भंडारित था। पिछले वर्ष जुलाई माह में भंडारित आलू की 20 प्रतिशत निकासी हो गयी थी। जबकि इस वर्ष पांच प्रतिशत भी निकासी नहीं हो पाई है। जिला कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय गुप्ता के मुताबिक दिल्ली की मंडी में 100 गाड़ी हर रोज की खपत घटकर 80 गाड़ी रह गयी है। कानपुर, मुम्बई में भी आलू के भाव घट रहे हैं। मतलब साफ है आने वाला समय आलू के लिये अच्छा नहीं है। 95 प्रतिशत आलू स्टोरेजों में है। केंद्र सरकार ने बाहरी निर्यात रोकने और राज्य सरकार ने यूपी के अंदर ही आलू बिक्री का फैसला किया तो आलू के भाव धड़ाम से गिरने से कोई नहीं रोक पायेगा। पंजाब का आलू भी अगले माह बाजार में आ जायेगा।
जय हो… जय हो…
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