(प्रशांत गुप्ता जी के ब्लॉग से साभार)
"खुला पत्र प्रधानमंत्री के नाम"
माननीय प्रधानमंत्री जी ,
मै जानता हूँ प्रधानमंत्री जी , आप बडे संवदनशील है , कई बातो पर आप को नींद नहीं आती है , अच्छी बात है कि आप इस बात को देश कि जनता से बाँट भी लेते है . पर पता नहीं चल पा रहा ही ऑस्ट्रेलिया मे भारतीय छात्रों पर लगातार हो रहे हमलो के बाद आप को नींद आ रही है या नहीं .? समझ सकता हूँ कि चुनाव कि थकान और अपने मंत्रिमंडल के गठन कि सिरदर्दी से आप अभी अभी उबरे है , नींद कि आप को जरूरत है , पर क्या करू ऑस्ट्रेलिया मे अपने भाइयो पर हो रहे हमलो से मै बड़ा उदास और चिंतित ही इसी लिये जानना चाहता हु कि क्या हजारो मील से आ रही ये आवाज़ आप कि नींद उड़ा पाई है या नहीं ?
हर साल ऑस्ट्रेलिया जितनी जनसँख्या जिस देश मै पैदा होती है , वही देश आज अपने छात्रों को सुरक्षा नहीं दे पा रहा है , बार बार वहाँ से बयान आ रहे है कि सरकार से हमे कोई मदद नहीं मिल रही है पर कुछ बयानों के अलावा किसी मदद का कोई अहसास नहीं है ,कहाँ है हिंदुस्तान के नवनिर्वाचित युवा सांसद , मंत्री और युवा राजनीती के तथाकथित " नेता " राहुल गाँधी और इन कि सरकार , क्या हमारे छात्रों कि आवाज़ इन्हे सुनाई दे रही है .
प्रधानमंत्री जी , नींद से जागिये और इन छात्रों के बारे मे भी सोचिये , लंकाई तमिलों पर आऐ समस्या पर आप अपने विदेश मंत्री , विदेश सचिव और सुरक्षा सलाहकार को लंका भेज सकते है , यहाँ तो हमारे अपने युवाओ पर हमले हो रहे है , अब बयानों से आगे बढ़ कर अपने विदेश मंत्री को कडे संदेशो के साथ ऑस्ट्रेलिया जाने का आदेश दीजिये ताकि इन छात्रों और इस देश कि जनता के साथ इन पर हमला करने वालो को लगे ही इन का भी एक देश है और उस देश मे एक सरकार है जो इस देश के हर नागरिक के बारे मे सोचती है और उन कि सुरक्षा करने मे भी समर्थ है .
आपका ही