यूनिट लिंक्ड बीमा पालिसियों [यूलिप] में निवेश करने वाले ग्राहकों को भारी राहत मिल गई है। अब कोई भी बीमा कंपनी इन पालिसियों पर बेहिसाब फीस नहीं वसूल सकतीं। बीमा क्षेत्र की नियामक एजेंसी इरडा ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसला करते हुए 10 वर्ष तक की परिपक्वता [मैच्योरिटी] अवधि वाली यूलिप बीमा पालिसियों पर अधिकतम तीन फीसदी फीस लेने का निर्देश जारी किया है। इसमें से 1.50 फीसदी की सीमा फंड प्रबंधन के लिए तय की गई है। इस फैसले से निवेशकों की तरफ से दी गई प्रीमियम राशि का ज्यादा हिस्सा अब बाजार में लगाया जा सकेगा। जाहिर है कि इससे उन्हें ज्यादा रिटर्न मिलेगा।
बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण [इरडा] के इस फैसले से आने वाले दिनों में न केवल यूलिप आधारित बीमा उत्पादों पर असर पड़ने की संभावना है,बल्कि जीवन बीमा कंपनियां भी बेअसर नहीं रहेंगी। इरडा ने इस बारे में निर्देश जारी करते हुए कहा है कि 10 वर्ष से ज्यादा अवधि की बीमा पालिसियों के लिए शुल्क की सीमा 2.25 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इसमें फंड प्रबंधन की फीस की सीमा 1.25 फीसदी तय की गई है। फीस की यह सीमा सभी प्रकार कीयूलिप पालिसियों पर एक अक्टूबर, 2009 से लागू होगी। इरडा ने साफ कहा है कि सभी प्रकार के यूलिप उत्पादों के फीस ढांचे को इस कसौटी पर कसना होगा। नहीं तो इन पालिसियों को 31 दिसंबर, 2009 तक बाजार से वापस लेने का निर्देश भी दे दिया गया है। माना जा रहा है कि देश में जितनी भी यूलिप पालिसियां बेची जा रही हैं, उनमें से आधी के फीस ढांचे में बदलाव करने की जरूरत होगी।
इरडा के इस फैसले के बारे में मैक्स न्यूयार्क लाइफ के सीईओ राजेश सूद ने बताया कि वे जल्द ही अपने उत्पादों के पोर्टफोलियो में बदलाव की प्रक्रिया शुरू करने जा रहे हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि इरडा के फैसले से ग्राहकों को काफी फायदा होगा। हालांकि उन्होंने जीवन बीमा उत्पादों को अन्य वित्तीय उत्पादों से अलग नजरिए से देखने का आग्रह किया है। बीमा कंपनियों ने शुल्क निर्धारण में जीवन जोखिम शुल्क [मोर्टेलिटी कास्ट] को शामिल करने के फैसले को गलत ठहराया है। कोटक महिंद्रा लाइफ इंश्योरेंस के एमडी गौरांग शाह के मुताबिक बीमा कंपनियों के लिए अब चुनौती बढ़ गई है। उन्हें अब लागत प्रबंधन व नियंत्रण पर ज्यादा ध्यान देना होगा। दरअसल, पिछले तीन-चार वर्षो के दौरान जीवन बीमा कंपनियों ने यूलिप उत्पादों के जरिए खूब कारोबार किया है। कई कंपनियों के कुल कारोबार में यूलिप उत्पादों से अर्जित आय की हिस्सेदारी 90 फीसदी थी। अब इस पर असर पड़ने की संभावना है।
यूलिप बीमा पालिसियों के तहत ग्राहकों से प्राप्त राशि का एक हिस्सा शेयर बाजार या अन्य वित्तीय प्रपत्रों में लगाया जाता है। इस पर ज्यादा रिटर्न मिलने की गुंजाइश होती है, लेकिन इसके साथ जोखिम भी जुड़ा होता है। इरडा के इस फैसले से कंपनियों को निवेशकों की ज्यादा राशि अब शेयर बाजार में लगानी होगी। अभी तक पहले वर्ष में तो कई कंपनियां कुल प्रीमियम राशि का 75 फीसदी तक राशि बतौर शुल्क रख लेती थीं। दूसरे वर्ष से भी कुल प्रीमियम और प्राप्त रिटर्न पर तमाम तरह के शुल्क लगाए जाते थे। आमतौर पर पहले तीन से चार वर्षो तक शुल्क का अनुपात काफी ज्यादा होता है। इससे निवेशकों की निवेश राशि का काफी बड़ा हिस्सा पहले साल में शुल्क के तौर पर कट जाता था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपकी टिप्पणियों की मुझे प्रतीक्षा रहती है,आप अपना अमूल्य समय मेरे लिए निकालते हैं। इसके लिए कृतज्ञता एवं धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।