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शुक्रवार, 31 जुलाई 2009

अब इतिहास के पन्ने भी झूठे होंगे


ढूंढ़ते रह जाओगे.! अगर कहीं इतिहास की किताब में पढ़कर आपके अंदर निजामुद्दीन के पास तीन गुम्बदों वाली दरगाह देखने की इच्छा जाग गई, या फिर सरकार की संरक्षित सूची में शामिल लखनऊ का अमीनुद्दीन इमामबाड़ा कहा है, यह जानने की कोशिश की।

यही नहीं, इनके साथ-साथ संरक्षित घोषित देश के 35 प्रमुख ऐतिहासिक स्मारक विलुप्त हो चुके हैं। अब उनका नामोनिशान नहीं है। होटल, मॉल, घर, सड़क जैसी सुख सुविधाएं पहले और राष्ट्रीय धरोहर सबसे बाद। संस्कृति को लेकर गौरवान्वित रहे भारत में लोगों की शायद अब यही मनोदशा है। साक्ष्य सामने है। विकास, शहरीकरण और व्यवसायीकरण की दौड़ में 35 ऐतिहासिक स्मारक विलुप्त हो चुके हैं। आश्चर्य की बात यह है कि यह सब केंद्रीय सरकार की संरक्षित सूची में थे। फिर भी उनकी देखभाल न हो सकी। नींद तब टूटी जब असम के तिनसुकिया में बादशाह शेरशाह की गन न मिली और लखनऊ के अमीनुद्दीन इमामबाड़े की एक छाप तक न दिखी। इसकी एक-एक ईट गायब हो चुकी है। बृहस्पतिवार को संसद में खुद सरकार ने इस हकीकत को स्वीकार किया है।

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