केंद्रीय जांच ब्यूरो ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ पांच साल पुराने आय के ज्ञात स्रोत से अधिक मामले में अभियोग पत्र तैयार है। मायावती ने इसे राजनीति से प्रेरित मामला बताया है।
ब्यूरो ने अपने हलफनामे में कहा कि सक्षम प्राधिकार ने विशेष सुनवाई अदालत में अपराध प्रक्रिया संहिता के अनुच्छेद 173 के तहत अंतिम रिपोर्ट दायर करने का फैसला पहले ही ले लिया है।
मामले पर सुनवाई 13 जुलाई को होनी निर्धारित है। उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त एडवोकेट जनरल एस कुमार द्विवेदी ने शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश के जी बालकृष्णन की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि राज्य सरकार ब्यूरो के हलफनामे का जवाब देगी।
ब्यूरो के वकील ने कहा है कि उसने 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट को जो सूचित किया था उसमें कोई बदलाव नहीं है। उसने उस समय कहा था कि मामले में मायावती के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं।
ब्यूरो ने सन 2003 में मायावती द्वारा घोषित एक करोड़ रुपये की राशि के सन 2007 में 50 करोड़ पहुंच जाने पर सवालिया निशान लगाया था। उसने कहा है कि उसके पास इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि उन्होंने आय के ज्ञात स्रोत से अधिक की संपत्ति अर्जित की। मायावती का दावा है कि उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं के दान के जरिए यह संपत्ति अर्जित की, जिसमें पांच और दस लाख तक का दान शामिल है। उनके अनुसार यह राशि उनके जन्मदिन के अवसर पर दी गई।
मायावती ने मई 2008 में एक याचिका दायर कर अपने खिलाफ इस मामले में आपराधिक प्रक्रिया को खत्म करने का अनुरोध करते हुए कहा कि मामला राजनीति से प्रेरित है। ब्यूरो ने पिछले साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट के नोटिस का जवाब देते हुए कहा कि यह दर्शाने के पर्याप्त सबूत हैं कि मायावती ने आय के ज्ञात स्रोत से अधिक की सम्पत्ति अर्जित की। ब्यूरो ने मामला 2003 में दर्ज किया था। उसने आरोप लगाया कि अकबरपुर संसदीय क्षेत्र में उनके द्वारा दर्शाई गई सम्पत्ति एक करोड़ रुपये से अधिक है, जबकि सन 2007 के विधान सभा चुनाव के दौरान सौंपे गए दस्तावेज में यह राशि 50 करोड़ रुपये से अधिक है। ब्यूरो ने कहा कि तीन साल की अवधि में पूछताछ के दौरान मायावती ने दावा किया कि संपत्ति पार्टी कार्यकर्ताओं के दान से मिली। ब्यूरो ने दलील दी कि मायावती का तर्क उचित नहीं है और वह जल्द उनके खिलाफ अभियोग पत्र दायर करेगी। ब्यूरो ने मायावती के इस आरोप को खारिज कर दिया कि संप्रग सरकार अपने राजनीतिक हित के लिए इस जांच का इस्तेमाल कर रही है।
कोर्ट ने ब्यूरो से 175 करोड़ रुपये के ताज हेरीटेज कोरिडर घोटाले की जांच करने को कहा था जिसके बाद ब्यूरो ने पांच अक्तूबर 2005 को मायावती के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। जब मामला सुनवाई को आया था तब केंद्र सरकार ने कहा था कि 18 सितंबर 2003 को ब्यूरो द्वारा कोर्ट में पेश दो रिपोर्ट में सम्पत्ति से संबंधित मुद्दा निहित है।
उसने कहा था कि मायावती सन 2005 से जांच में सहयोग कर रही हैं और इसके 2006 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है लेकिन इसमें विलंब होता रहा।
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