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शुक्रवार, 14 अगस्त 2009

फ़िर वही रात है ...


सोलह कलाओं के देव श्रीकृष्ण के जन्म के साथ इस बार अद्भुत संयोग होने जा रहा है। पाच हजार साल पहले कृष्ण जन्म की तरह इस बार भी यह वृष लग्न में ही होगा। इसके अलावा रोहिणी नक्षत्र हमेशा की तरह उसमें जुड़ जाएगा। उधर, जन्माष्टमी पर बाके बिहारी मंदिर वृंदावन के समय में परिवर्तन किया गया है।

जन्माष्टमी पर्व 14 अगस्त को है। ज्योतिषी दुर्गेश शर्मा उर्फ कृष्णा पंडित के अनुसार रात्रि 11.35 बजे से वृष लग्न शुरू हो जाएगी, जिसका समापन 01.25 बजे होगा। वृष लगन पर चंद्रमा उच्च होगा। यह तब भी उच्च था, जब कान्हा का जन्म हुआ था। इस तरह यह पाच हजार साल पहले की तरह का संयोग हो जाएगा। इसके अलावा 14 अगस्त को हमेशा की तरह रोहिणी नक्षत्र होगा। इस नक्षत्र की शुरुआत रात्रि 10.50 बजे से होगी। इसके अलावा श्रीकृष्ण जन्म के समय मंगल, बुध, शुक्र, शनि और चंद्रमा उच्च राशि में होंगे। यह बहुत अच्छा संयोग माना जाता है।

शैव मत को मानने वाले लोग गुरुवार को ही जन्माष्टमी मना लेंगे। उनके यहा 13 अगस्त रात्रि को पूजन करने के बाद जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस मत की मान्यता आगरा के प्रसिद्ध मन कामेश्वर मंदिर में है। अत: वहा 13 अगस्त की रात्रि को पूजन होगा। उधर, श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारिया मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान सहित प्रमुख मंदिरों में जोरों पर चल रही हैं। जन्माष्टमी के दिन सुबह 9 बजे जन्म स्थान लीला मंच पर पुष्पाजलि और रात 8 बजे से श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के कार्यक्रम शुरू होंगे। रात 12 बजे श्रीकृष्ण जी के विग्रह का दुग्धाभिषेक पंचामृत से किया जाएगा। इसके उपरात आरती और श्रृगार होगा। मंदिर द्वारिकाधीश और वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में श्री बांके बिहारी का अभिषेक होगा।

बांके बिहारी पर उस दिन के लिए दर्शन के समय में परिवर्तन किया गया है। अभिषेक 14 अगस्त को रात्रि 12 बजे होगा, तदोपरात 1.45 बजे पुन: दर्शन खुलेंगे। इनके अलावा गोवर्धन सहित प्रमुख धार्मिक कस्बों में स्थित मंदिरों पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर धार्मिक कार्यक्रम होंगे।

कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामना और ढेरो बधाई|

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