पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम भी डाक्टरों द्वारा मरीजों की अकारण जांच करवाने की प्रवृत्ति से क्षुब्ध हैं। इसे रोकने के लिए उन्होंने मेडिकल छात्रों व डाक्टरों को बकायदा शपथ दिलाई। मौका था लखनऊ के कन्वेंशन सेंटर में आयोजित चिकित्सा विश्वविद्यालय के 'रिसर्च शो केस' का। अपने भाषण के दौरान डा. कलाम ने अकारण ढेर सारी जांच करवाकर रोगी को 'डायग्नोस्टिक पेन' न देने की शपथ दिलाई। इलाज से मरीज के संतुष्ट न होने पर इसका कारण ढूंढने एवं उस रोगी का नि:शुल्क इलाज करने और एचआईवी, कैंसर जैसी जटिल बीमारियों का कारगर इलाज ढूंढने की दिशा में गहन शोध करने का भी संकल्प दिलाया। पूर्व राष्ट्रपति ने राज्य में बढ़े पोलियो के मामलों पर भी चिंता जताई।
उन्होंने कहा कि वे उत्तर प्रदेश को पोलियो मुक्त देखना चाहते हैं। सोमवार को पूर्वाह्न डा. एपीजे कलाम ने सबसे पहले चिकित्सा विश्वविद्यालय के चिकित्सकों द्वारा लगाए गए शोध पोस्टरों को देखा। इसके बाद मंच पर आए और दीप जलाकर कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन किया।
उन्होंने कहा कि चिकित्सा विश्वविद्यालय को 'अंडर ग्रेजुएट' स्तर पर भी शोध कार्यक्रम शुरू करने चाहिए। इससे छात्रों को नये रिसर्च करने के लिए अधिक समय मिलेगा और गुणवत्तापरक नतीजे भी आ सकेंगे। उनके मुताबिक शोधार्थी जितना युवा होगा उतना ही बेहतर शोध वह कर सकेगा। डा. कलाम ने कहा कि शोध ऐसा होना चाहिए जिससे रोगी को फायदा हो। जटिल बीमारी का कारगर इलाज हो सके और सबसे महत्वपूर्ण यह कि इलाज सस्ता हो सके।
कलाम ने डा. सीबी रमन, डा. जी. पद्मनाभन समेत कई वैज्ञानिकों के बारे में मेडिकल छात्रों व चिकित्सकों को बताया और इनके जीवन से सीख लेने की अपील भी की। विशिष्ट अतिथि उपस्थित राज्यपाल बीएल जोशी ने भी चिकित्सकों से गुणवत्तापरक शोध करने को कहा।
उधर, जोशी ने कहा कि चिकित्सा विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक, शिक्षक और डाक्टर एक साथ मिलकर काफी गूढ़ शोध कर सकते हैं। इससे निश्चित ही रोगी को फायदा होगा। कुलपति प्रो. सरोज चूड़ामणि गोपाल ने भरोसा दिलाया कि संस्थान में शोध के लिए पूरा माहौल उपलब्ध कराया जाएगा।
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