चंद्रयान-1 की सफलता से उत्साहित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान [इसरो] की नजर अब मंगल ग्रह पर है। इसरो ने योजना बनाई है कि अगले छह साल में मंगल ग्रह पर एक भारतीय अंतरिक्षयान उतारा जाएगा। इसरो की योजना मंगल पर 500 किग्रा वजन का यान भेजने की है। संगठन ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं।
इसरो के अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने बताया कि सरकार ने इस अभियान की तैयारियों के लिए 10 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। राजधानी में भारतीय खगोलिकी सोसायटी द्वारा आयोजित एक कार्यशाला के दौरान माधवन ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अभियान के लिए अध्ययन संबंधी कार्य पूरे हो चुके हैं। अब वैज्ञानिकों के प्रस्तावों और इस अभियान के उद्देश्यों पर काम चल रहा है। उन्होंने बताया कि 2013 से 2015 के मध्य अंतरिक्षयान को रवाना करने की योजना है।
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक के. राधाकृष्णन ने बताया कि अभियान के लिए भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण वाहन जीएसएलवी का इस्तेमाल किया जाएगा। यान के ईंधन के लिए तरल ईधन या परमाणु शक्ति का इस्तेमाल किया जाएगा। चन्द्रयान-1 में सौर उर्जा से चलने वाले इंजन का प्रयोग किया गया था। इसरो के निदेशक टी. ए. एलेक्स के अनुसार संभव है कि इस अभियान के दौरान सौर उर्जा पर्याप्त नहीं हो। इसलिए वैकल्पिक स्रोतों पर विचार किया जा रहा है। इसरो 2012 तक प्रस्तावित अंतरिक्ष यान-2 के तहत चंद्रमा पर रोबोट उतारने की भी योजना पर काम कर रहा है। इसके अलावा 2015 तक चंद्रमा पर मानव को भेजने की योजना भी है।
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