खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार करीब 170 हजार करोड़ रुपये के जाली नोट देश के बाजारों में आ चुके हैं। सूत्रों की माने तो बाजार में करीब 28 फीसदी नोट नकली हैं। यानी हर चार नोट में एक नोट नकली है। अगर नकली नोटों की जब्ती की बात करें तो वर्ष 2002 में 5.56 करोड़, वर्ष 2003 में 5.29 करोड़, वर्ष 2004 6.89 करोड़, वर्ष 2005 में 1.21 करोड़ और वर्ष 2008 में 8 करोड़ रुपये ही सुरक्षा तंत्र और पुलिस के हाथ लगे। आरबीआई के अनुसार प्रत्येक दस लाख नोटों पर चार नोट नकली हैं लेकिन आरबीआई के यह आकड़े सच्चाई से परे हैं।
नकली नोटों के बढ़ते कारोबार का ही नतीजा है कि नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो ने वर्ष 2007 में 10.54 करोड़ और वर्ष 2008 में 21.45 करोड़ रुपये के नकली नोटों की खेप बरामद की और मार्च 2009 तक 4.09 करोड़ रुपये के नकली नोट की खेप बरामद की जा चुकी है। जाहिर है बम और बंदूक की भाषा बोलने वाले आईएसआई समर्थित आतंकी अब नकली नोटों के सहारे भारत में विकास की रफ्तार को रोकना चाहते हैं।
धर की मानें तो भारत में आतंकी गतिविधियों को चलाने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई सालाना एक करोड़ 80 लाख के करीब नकली नोटों की खेप सीमा पार से भारत भेजती है। जानकारों का मानना है कि कारगिल का युद्ध हार चुका पाकिस्तान अब नकली नोटों के सहारे आर्थिक मोर्चे पर फतह हासिल करने की कोशिश में है।
दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त वेद मारवाह का कहना है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा भेजी जा रही नकली नोटों की खेप दुबई, संयुक्त अरब अमीरात, नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते भारतीय सीमा में लाई जाती है। भारत में नकली नोटों का मुख्य अड्डा उत्तर प्रदेश और पंजाब है।
उत्तर प्रदेश नकली नोटों के कारोबार में सबसे ऊपर है। राज्य के 50 शहरों में जून 2008 तक करीब 300 मामले दर्ज हो चुके हैं और 50 लोगों को इस मामले में गिरफ्तार भी किया गया है। घरेलू स्तर पर बेरोजगार युवाओं की खेप भी नकली नोटों का कारोबार करने वालों को खाद पानी देने का काम कर रही है।
धर का मानना है कि भारत सरकार को तत्कालिक रूप से नोटों का कागज मुहैया कराने वाले सप्लायर को बदल देना चाहिए। नकली नोटों की भयावहता को देखते हुए सरकार भी नोटों का कागज मुहैया कराने वाले सप्लायर को बदलने का फैसला कर एक बड़ा कदम उठाया है।
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