उत्तर प्रदेश में मूर्तियों को लेकर छिड़ा विवाद राज्य सरकार के लिए नित नए रूप में परेशानी खड़ी करने लगा है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट से थोड़ी राहत मिलने के बावजूद जहां संसद से लेकर सड़क तक लगातार सरकार को घेरने की कोशिश हो रही है। वहीं मूर्तियों की स्थापना के जरिए चुनाव चिन्ह के दुरुपयोग के बाबत कुछ शिकायतों के आधार पर सोमवार को चुनाव आयोग ने भी बसपा अध्यक्ष मायावती को नोटिस जारी कर दिया है। आयोग ने 12 अगस्त तक उनसे जवाब मांगा है।
सोमवार को जारी नोटिस में पार्टी अध्यक्ष से कहा गया है कि पिछले दो महीनों में पार्टी के खिलाफ तीन शिकायतें आई। इसमें शिकायत की गई थी बसपा ने चुनाव चिन्ह का दुरुपयोग किया है। आयोग के निर्देशानुसार सभी राजनीतिक दलों के लिए बराबरी का आधार होना चाहिए। लिहाजा कोई भी दल चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल सरकारी भवनों और परिसरों पर नहीं कर सकता है। जबकि बसपा ने सरकारी फंड से अपना चुनाव चिन्ह हाथी हर स्थान पर स्थायी बना दिया है। शिकायतकर्ता ने कहा है कि बसपा ने न सिर्फ आचार संहिता का उल्लंघन किया है बल्कि राज्य सरकार के फंड का राजनीति कारणों से दुरुपयोग किया है। लिहाजा उसका चुनाव चिन्ह निरस्त कर देना चाहिए। इतना ही नहीं बसपा अध्यक्ष मायावती के चुनाव लड़ने पर पाबंदी की भी मांग की गई है। शिकायतकर्ता ने कहा है कि खुद मायावती की स्थायी मूर्ति लगाई गई है जो गलत है। आयोग ने शिकायतों को दर्ज करते हुए बसपा अध्यक्ष से सफाई मांगी है। उन्हें 12 अगस्त तक का समय दिया गया है।
गौरतलब है कि मूर्तियों की स्थापना में सरकारी फंड के दुरुपयोग के बाबत पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में भी शिकायत की गई थी। इधर संसद में वन व पर्यावरण मंत्रालय ने यह कहकर सरकार के लिए परेशानी खड़ी कर दी थी कि पार्को और मूर्तियों की स्थापना के लिए पेड़ काटे जाने की अनुमति नहीं ली गई थी। संकेत साफ था कि इस मामले में केंद्र कार्रवाई करेगा।
उधर, चुनाव चिह्न के दुरुपयोग की शिकायत पर चुनाव आयोग का जवाब तलब मायावती और बहुजन समाज पार्टी को भारी पड़ सकता है। अगर आरोप सिद्ध हो गए तो पार्टी का चुनाव चिह्न जब्त हो सकता है। अगर कानून में बारीकी से झांकें तो खतरे में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी आता है।
संविधान के अनुच्छेद 324 में चुनाव आयोग को निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए चुनाव चिह्न के आवंटन, उनका उचित प्रयोग तय करने व उल्लंघन पर चिह्न जब्त करने के अधिकार हैं। मायावती की बहुजन समाज पार्टी पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने सरकारी खर्च पर लखनऊ शहर में बड़े पैमाने पर हाथी की मूर्तियां लगाई हैं। हाथी बहुजन समाज पार्टी का चुनाव चिह्न है। इस मसले पर चुनाव आयोग के एक अधिकारी का कहना है कि अभी तो आयोग ने शिकायतों पर जवाब मांगा है। जवाब आने के बाद ही तय होगा कि क्या कार्रवाई की जाए।
वैसे चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों के मुताबिक चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या जाने माने नेता जिनकी जनता में ठीक ठाक पहचान हो, की फोटो आदि भी सार्वजनिक स्थल पर नहीं लगाई जा सकती क्योंकि इससे मतदाता के फैसले पर प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि मूर्तियों को लेकर चुनाव आयोग की आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया जा रहा है लेकिन वह चुनाव के समय ही लागू होती है। विशेषज्ञों के मुताबिक मौजूदा मामले में इस संहिता के उल्लंघन का मामला बनता हुआ नहीं लगता।
फिर हाथी की मूर्तियां किस तरह चुनाव चिह्न आदेश का उल्लंघन करती हैं? हाथी की मूर्तियां पत्थर की हैं और वे स्थायी निर्माण की श्रेणीं में आती हैं। वैसे चुनाव के समय इन्हें हटाया जा सकता है। मगर मूर्तियों की संख्या काफी बड़ी है और इनका निर्माण भी सरकारी धन से हुआ है। ये सार्वजनिक स्थलों पर लगाई गई हैं। सरकारी धन से सार्वजनिक स्थल पर पार्टी के चुनाव चिह्न की स्थायी मूर्तियों का लाभ चुनाव के दौरान एक विशेष राजनैतिक दल को मिलेगा ऐसे में दूसरे दल आपत्तिजता सकते हैं।
चुनाव चिह्न [आरक्षण एवं आवंटन] आदेश 1968 में वर्ष 1994 में धारा 16 ए जोड़ी गई है जिसमें यहां तक कहा गया है कि अगर आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन होता है या फिर निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए समय समय पर जारी किए गए नियम निर्देशों का उल्लंघन होता है या फिर जनहित के आड़े आता है तो राजनैतिक दल का राष्ट्रीय अथवा राज्य दल का दर्जा निलंबित किया जा सकता है या वापस लिया जा सकता है। सुप्रीमकोर्ट के वकील संजय पारिख कहते हैं कि इस धारा में तो यहां तक कहा गया है कि सिर्फ चुनाव आचरण संहिता लागू होने पर ही नहीं बल्कि आने वाले चुनावों की निष्पक्षता प्रभावित होने के मामले में भी कार्रवाई की जा सकती है। हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश राजेन्द्र सच्चर भी मानते हैं कि चुनाव आयोग को जब चुनाव चिह्न बांटने का अधिकार है तो निश्चित तौर पर उसे छीनने का भी अधिकार है।
यह अति और आतंक की ही परिणति है।
जवाब देंहटाएंअति समाप्ति का द्योतक भी है।
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
विश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!