बीते सप्ताह इस सूचकांक में 1.71 फीसदी की तेजी दर्ज की गई थी। इसी प्रकार नेशनल स्टाक एक्सचेंज का निफ्टी भी 192.15 अंक यानी 4.20 फीसदी लुढ़ककर 4387.90 पर बंद हुआ। अमेरिकी उपभोक्ता सूचकांक में उम्मीद से ज्यादा गिरावट के चलते विश्व भर के निवेशकों में निराशा फैल गई। इससे निवेशक समुदाय में यह संकेत गया है कि ग्लोबल अर्थव्यवस्था को मंदी से पार पाने में कहीं ज्यादा लंबा वक्त लगेगा। इसी कारण ग्लोबल बाजार भारी गिरावट के शिकार हो गए। एशियाई शेयर बाजार 2 से 6 फीसदी तक के नुकसान पर बंद हुए। इसका झटका दलाल स्ट्रीट को भी लगा। इसके अलावा मानसून की कमजोरी से कृषि उत्पादन पर असर पड़ने की आशंका भी बाजार पर भारी पड़ी। एक अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ने भी अपनी रिपोर्ट में शेयरों के मूल्य में 15 फीसदी तक गिरावट की आशंका जताई है। विदेशी संस्थागत निवेशक [एफआईआई] पूरे दिन बिकवाल बने रहे। अगस्त के पहले पखवारे में वे 2364 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेच चुके हैं। शुरुआत में संकोच कर रहे घरेलू संस्थागत निवेशकों ने भी बाद में जबर्दस्त मुनाफावसूली की।
बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स विदेशी असर में कमजोरी के साथ 15284.23 अंक पर खुला। यही सत्र का उच्चतम स्तर रहा। इसके बाद बिकवाली के दबाव में यह सांस नहीं ले पाया और कारोबार बंद होने के कुछ समय पूर्व 14740.63 अंक तक लुढ़का। निफ्टी भी सत्र के दौरान एक समय 4374.60 अंक के निचले स्तर पर आ गया था। बाजार में बिकवाली दबाव से बीएसई का कोई भी सूचकांक उबर नहीं पाया। रीयल एस्टेट और मेटल कंपनियों के सूचकांक क्रमश: 7.58 व 6.15 फीसदी लुढ़क गए। इसके अलावा आटो, बैंकिंग, आयल एंड गैस और एफएमसीजी वर्ग के सूचकाकों में भी 4 फीसदी से ज्यादा नुकसान दर्ज हुआ। मिडकैप सूचकांक में 3.90 और स्मालकैप में 3.13 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई। सेंसेक्स में शामिल 30 कंपनियों में सभी के शेयर नुकसान के साथ बंद हुए। इस दिन बीएसई का कुल कारोबार भी घटकर 4977.50 करोड़ रुपये रह गया।
बहुत बढ़िया लिखा है आपने! स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
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