सदस्य

 

शुक्रवार, 24 जुलाई 2009

सावधान , दवा नकली तो नहीं ???? करोड़ों का है नकली दवा का कारोबार !!!!


सावधान। अगली बार आप अपने बच्चे के लिए कफ सिरप खरीदते हैं या अपने लिए कोई दवाई लेते हैं, तो इसकी उचित रसीद जरूर लें। नहीं तो हो सकता है कि आप देश में चल रहे करोड़ों रुपये के नकली दवा कारोबार के फेर में फंस गए हैं। देश में फार्मा उत्पादों का कुल कारोबार 85,000 करोड़ रुपये का है।

बड़ी फार्मा कंपनियों ने नकली दवा कारोबार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हालांकि प्रवर्तन एजेंसियों और कई दवा संगठनों का कहना है स्थिति उतनी चिंताजनक नहीं है पर बड़ी फार्मा कंपनियों का दावा है कि कुल फार्मा कारोबार में नकली दवाओं की हिस्सेदारी 20 से 25 प्रतिशत है। हालांकि इन संगठनों का भी यह मानना है कि कुछ इलाकों की पहचान नकली दवा कारोबार के क्षेत्र के रूप में बन चुकी है।

केंद्रीय और क्षेत्रीय दवा प्रवर्तन एजेंसियों के अलावा उद्योग जगत के विशेषज्ञ और पुलिस का कहना है कि उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश कुछ क्षेत्र हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि वहां नकली दवाएं बनाई जाती हैं। सूत्रों ने कहा कि आगरा, पटना, लखनऊ और गाजियाबाद में कई दवा बाजार हैं, जहां से नकली दवाइयां खरीदी जा सकती हैं।

सूत्रों ने कहा कि ज्यादातर सर्दी, बुखार, कफ आदि के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं नकली होती हैं। इसके अलावा 'नकली वियाग्रा' भी इन दवा बाजारों में मिलती है। दवा नियामक के अधिकारियों का कहना है कि नकली दवा का 'रैकेट' इतना मजबूत है कि उनके पास अपनी उत्पादन की सुविधा है और साथ ही इनकी अपनी 'सप्लाई चेन' होती है, और उनका लक्ष्य ज्यादातर ग्रामीण इलाके होते हैं।

सूत्रों का कहना है कि दिल्ली जैसे बड़े शहरों में नकली दवाओं की मौजूदगी नाममात्र को है, लेकिन कई इलाके इस तरह के कारोबार के केंद्र के रूप में बन चुके हैं। एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि दिल्ली की परिवहन व्यवस्था बेहतरीन है और यहां का बुनियादी ढांचा भी मजबूत है। हरियाणा और उत्तर प्रदेश से नकली दवाएं यहां लाई जाती हैं और बाद में इन्हें राजस्थान जैसे पड़ोसी राज्यों को भेज दिया जाता है।

सूत्र ने बताया कि नकली दवा की गैरकानूनी इकाई चलाना कोई बहुत महंगा सौदा नहीं है। एक छोटे से गैराज से भी यह इकाई चलाई जा सकती है। और जहां तक मुनाफे की बात है, तो यह 90 प्रतिशत तक होता है। इसी साल नोएडा में ऐसी ही एक दवा फैक्टरी पकड़ी गई थी, जहां एक मशहूर ब्रांड का कफ सिरप बनाया जा रहा था। इस सिरप का इस्तेमाल आमतौर पर बच्चे करते हैं। इन सिरप की बोतलों में रसायनों के अलावा कुछ नहीं था। इसी तरह पिछले साल गुड़गांव और चेन्नई में नकली दवा कारोबार का भंडाफोड़ किया गया था।

2 टिप्‍पणियां:

  1. कारोबार तो कारोबार ही है
    इस कारोबार पर टिका है
    श्‍मशान घाट का भी
    दारोमदार
    और भी बहुत कुछ जुड़ा है
    बाकी आप सोचें विचारें।

    जवाब देंहटाएं
  2. पैसे कमाने की होड में कितने गिर गए हैं लोग .. एलोपैथी की दवा खरीदते वक्‍त ग्राहकों में कैशमेमो लेने की प्रवृत्ति हो .. तो शायद समस्‍या से शायद निजात मिल सके।

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियों की मुझे प्रतीक्षा रहती है,आप अपना अमूल्य समय मेरे लिए निकालते हैं। इसके लिए कृतज्ञता एवं धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।

ब्लॉग आर्काइव

Twitter