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शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2009

शराब और तंबाकू के नशे के बाद अब इंटरनेट फीवर की गिरफ्त में दुनिया


शराब और तंबाकू के नशे के बाद अब एक नए नशे ने दुनिया को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। यह नशा है 'इंटरनेट का नशा'। अगर आप चाह कर भी स्वयं को सोशल नेटवर्किंग साइट्स, वीडियो गेम और चैटिंग जैसी गतिविधियों में लिप्त होने से दूर नहीं रख पा रहे हैं, तो आप भी इंटरनेट 'फीवर' की गिरफ्त में आ चुके हैं।
अमेरिका के सिएटल में पिछले दिनों लोगों की इंटरनेट की 'लत' छुड़ाने के लिए एक 'तकनीकी पुनर्वास केंद्र' की शुरूआत की गई है। इस पुनर्वास केंद्र में इंटरनेट की लत से पीड़ित लोगों को इसका नशा छोड़ने में मदद करने के लिए थेरेपी का उपयोग किया जा रहा है। पुनर्वास केंद्र में वीडियो गेम, मोबाइल गेम, सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स और चैटिंग की आदत से परेशान लोगों को उपचार मुहैया कराया जा रहा है।
45 दिवसीय थेरेपी के लिए केंद्र में 19 वर्ष के एक युवा ने स्वयं को पंजीकृत भी करा लिया है। अपने देश के नागरिकों को इस अनूठी बीमारी से निजात दिलाने की कोशिश कर रहे अमेरिका की इस पहल के बाद भारतीय विशेषज्ञों का भी मानना है कि ऐसे पुनर्वास केंद्र की अब भारत में भी जरूरत है। इस संबंध में मनोवैज्ञानिक डा. समीर पारेख कहते हैं कि इंटरनेट का बहुत ज्यादा इस्तेमाल धीरे-धीरे अन्य नशों की तरह व्यक्ति को अपनी गिरफ्त में ले लेता है। पुनर्वास केंद्र ऐसे नशे को दूर करने में उपयोगी साबित हो सकता है।
डा. पारेख ने कहा कि मेरे पास कई ऐसे युवा उपचार के लिए आए हैं, जिन्हें इंटरनेट के उपयोग की लत लग गई थी। कई युवाओं को उनके अभिभावक ऐसी शिकायत के चलते लेकर आए थे। डा. पारेख का कहना है कि भारत में कई अभिभावक जागरूक होकर अपने बच्चों की इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। प्रैक्टिसिंग साइकोलॉजिस्ट के तौर पर अमेरिका समेत कई देशों के निवासियों की मानसिक समस्याओं को आनलाइन सुलझाने वाले मनोवैज्ञानिक और भोपाल के प्रतिष्ठित भोपाल स्कूल ऑफ सोशल साइंस के प्राध्यापक डा. विनय मिश्रा ने कहा कि युवाओं में इंटरनेट के नशे की प्रवृत्ति भारत में भी बढ़ती जा रही है।
डा. मिश्रा ने उनके पास आए एक मामले के आधार पर कहा कि भोपाल के एक कालेज में पढ़ रही एक लड़की ने इंटरनेट की सुविधा उठाने के लिए अपने माता-पिता को घर के बरामदे में रहने पर मजबूर कर दिया। लड़की चाहती थी कि इंटरनेट पर चैटिंग करते समय उसे कोई परेशान न करे। उन्होंने बताया कि लड़की की इस हरकत का माता-पिता द्वारा प्रतिकार करने पर उसने अपने अभिभावकों को मारना-पीटना शुरू कर दिया। इससे परेशान होकर उसके माता-पिता ने मनोवैज्ञानिक की शरण ली, लंबे उपचार और काउंसलिंग के बाद लड़की की मानसिक स्थिति में सुधार आ सका।
मिश्र ने बताया कि कई बार लोग इंटरनेट का उपयोग मौज-मस्ती के लिए शुरू करते हैं, जो बाद में नशे का रूप ले लेता है। अगर बच्चा घंटों तक बेवजह इंटरनेट से चिपका रहे, तो उसे इसका नशा लगने की पूरी आशंका होती है। इस प्रवृत्ति को अगर विभिन्न उपायों से रोका न जाए तो यह घातक रूप ले सकता है।
इंटरनेट की आदत अब संबंधों में भी दरार डाल रही है। मुंबई में पिछले दिनों हुई एक घटना से तो कम से कम यही साबित होता है। मनोचिकित्सक डा. एसके टंडन ने मुंबई की एक अदालत में पहुंचे इस मामले के बारे में बताया कि इंटरनेट की आदत ने एक युवा दंपत्ति को तलाक के कगार पर पहुंचा दिया है। शादी के महज सात महीने के भीतर एक पति अपनी पत्नी की इंटरनेट पर चैटिंग करने की आदत से इतना परेशान हुआ कि उसे पत्नी से तलाक लेने के अलावा कोई चारा नहीं दिखा।
डा. टंडन ने बताया कि पति कमल मिश्र ने पत्नी संजना को कई बार समझाने का प्रयास किया, लेकिन उसकी आदत नहीं छूटी। वह हर रोज इंटरनेट कैफे पर जाकर घंटों चैटिंग करती थी।। इसके बाद कमल ने अपनी पत्नी को समझाने के लिए पहले मनोचिकित्सक का और न समझने पर वकील का सहारा लिया। अब कमल संजना से तलाक लेने में ही भलाई समझ रहे हैं।

3 टिप्‍पणियां:

  1. हा भाई नशा तो है इन्टरनेट का

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  2. लेकिन कभी इस के आदी मत बनो, इस के गुलाम मत बनो.
    बहुत सुंदर ढंग से आप ने इसे समझाया

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  3. बहुत सुन्दर पोस्ट है।
    मगर ये नशा नही आदत है।

    महात्मा गांधी जी और
    पं.लालबहादुर शास्त्री जी को
    उनके जन्म-दिवस पर
    इन महान विभूतियों को नमन।

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