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रविवार, 18 अक्टूबर 2009

कुछ आसपास की - दिवाली के अगले दिन छिड़ेगा हिंगोटा युद्ध



मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में गौतमपुरा और रुणजी गांवों के जांबाज लड़ाके 'हिंगोट युद्ध' की सदियों पुरानी परंपरा निभाने के लिए सावधान की मुद्रा में आते दिख रहे हैं।
यह रिवायती जंग दिवाली के अगले दिन यानी विक्रम संवत की कार्तिक शुक्ल प्रथमा को यहां से 55 किलोमीटर दूर गौतमपुरा में छिड़ती है। इसमें एक खास किस्म के हथियार 'हिंगोट' को दुश्मनों पर दागा जाता है। हिंगोट दरअसल एक जंगली फल है, जो हिंगोरिया नाम के पेड़ पर लगता है। आंवले के आकार वाले फल से गूदा निकालकर इसे खोखला कर लिया जाता है। इसके बाद इसमें कुछ इस तरह से बारुद भरी जाती है कि आग दिखाने पर यह किसी अग्निबाण की तरह सर्र से निकल पड़ता है। इसे देसी ग्रेनेड के नाम से भी जाना जाता है।
हिंगोट युद्ध गौतमपुरा और रुणजी के लड़ाकों के बीच सदियों से होता आ रहा है। गौतमपुरा के योद्धाओं के दल को 'तुर्रा' नाम दिया जाता है, जबकि रुणजी गांव के लड़ाके 'कलंगी' दल की ओर से हिंगोट युद्ध की कमान संभालते हैं। फिजा में बिखरे त्योहारी रंगों और पारंपरिक उल्लास के बीच कार्तिक शुक्ल प्रथमा को सूरज ढलते ही हिंगोट युद्ध का बिगुल बज उठता है। इस अनोखी जंग के गवाह बनने के लिए हजारों दर्शक दूर-दूर से गौतमपुरा पहुंचते हैं।
इस जंग में 'कलंगी' और 'तुर्रा' दल के या एक-दूसरे पर कहर बनकर टूटने के उत्साह से सराबोर और हिंगोट व ढाल से लैस होते हैं। गौतमपुरा नगर पंचायत के अध्यक्ष विशाल राठी ने बताया कि हिंगोट युद्ध धार्मिक आस्था और शौर्य प्रदर्शन, दोनों से जुड़ा है। इसमें जीत-हार के अपने मायने हैं। उन्होंने कहा कि इस बार भी हिंगोट युद्ध में कलगी और तुर्रा दल के बीच रोचक टकराव होने के आसार हैं। दोनों दलों के योद्धा महीनों से भिड़ंत की तैयारी कर रहे हैं। राठी ने कहा कि धार्मिक आस्था के मद्देनजर हिंगोट युद्ध में पुलिस और प्रशासन रोड़े नहीं अटकाते, बल्कि 'रणभूमि' के आस-पास दर्शकों की सुरक्षा व घायलों के इलाज का इंतजाम करते हैं।

3 टिप्‍पणियां:

  1. अजब परम्परा है. आभार जानकारी का.

    सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
    दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
    खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
    दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

    -समीर लाल 'समीर'

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  2. एक दीप ऐसा जला दो, रूह रौशन हो सके !
    अंधेरों को आये नींद गहरी, और उजाला हो सके !!
    --आनंद वर्धन ओझा.

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  3. परंम्परा को जिंदा रखा , लेकिन अजीब बात है लोग जख्मी भी होते है?अब क्या कहे इस अजीब बात के लिये.
    धन्यवाद

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