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रविवार, 4 अक्टूबर 2009

कांग्रेस के (बनावटी) दलित प्रेम का प्रदर्शन


दलितों के प्रति सम्मान और सेवाभाव दर्शाने की दृष्टि से उत्तर प्रदेश के कांग्रेस जनों ने गांधी जयंती के अवसर पर दलितों के साथ जिस तरह समय बिताया उसका अपना एक महत्व है, क्योंकि ऐसा बहुत कम होता है जब राजनेता समाज के वंचित तबके के बीच जाकर उसका हाल-चाल लेते हैं। यह संभव है कि कांग्रेस को अपने इस आयोजन से कुछ राजनीतिक लाभ भी हासिल हो जाए और यदि ऐसा होता है तो इस पर किसी को आपत्ति भी नहीं होनी चाहिए, लेकिन यदि यह माना जा रहा है कि ऐसे किसी आयोजन से दलितों की स्थिति में कोई सुधार आ जाएगा तो ऐसा कुछ नहीं होने वाला। गांधी जयंती के दिन कांग्रेस जनों की ओर से यह जो कवायद की गई वह दलित उत्थान के संदर्भ में प्रतीकात्मक ही अधिक है। यह संभवत: दलितों के बीच अपने जनाधार को बढ़ाने की होड़ का नतीजा है कि कांग्रेस ने उनके प्रति इतनी सदाशयता दिखाई। इस पर विभिन्न दलों की चाहे जो प्रतिक्रिया हो, बसपा की प्रतिक्रिया जानना दिलचस्प होगा। निश्चित रूप से बसपा को कांग्रेस का यह कार्य रास नहीं आने वाला। जो भी हो, यदि कांग्रेस और बसपा के बीच दलितों को लुभाने की होड़ से समाज के वंचित-उपेक्षित तबके का भला होता है तो उसका श्रेय कांग्रेस के खाते में जा सकता है।
यह लगभग तय है कि कांग्रेस की ओर से ऐसे किसी आयोजन की जरूरत अगली गांधी जयंती अथवा अन्य किसी विशेष अवसर पर ही महसूस की जाएगी। यह भी विचित्र है कि कांग्रेस ने गांधी जयंती के अवसर पर दलितों के बीच जाने का कार्यक्रम केवल उत्तर प्रदेश में ही क्यों आयोजित किया? क्या सिर्फ इसलिए कि बसपा दलितों का कहीं अधिक मजबूती से प्रतिनिधित्व कर रही है और उसकी जैसी मजबूत स्थिति उत्तर प्रदेश में है वैसी अन्य कहीं नहीं? इस संदर्भ में कांग्रेस चाहे जैसा दावा क्यों न करे, उसके पास इस आरोप का शायद ही कोई जवाब हो कि दलितों का अपेक्षित आर्थिक और सामाजिक उत्थान न हो पाने के लिए वही सबसे अधिक उत्तरदायी है। यह भी कम विचित्र नहीं कि दलितों के हितों की चिंता कर रही कांग्रेस उत्तर प्रदेश में मजबूत दलित नेतृत्व को आगे बढ़ाने का काम नहीं कर रही है।

3 टिप्‍पणियां:

  1. राजनीति में कुछ विशेष रुचि न होने के कारण अपुन तो जीरो हैं। फिर भी कांग्रेस के इस कार्य में कुछ न कुछ तो स्वार्थ होगा ही।

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  2. हमारि भी राज नीति मै कोई रुचि नही, लेकिन इतना जरुर पता है कि यह सब वोट लेनेके लिये ड्रामे वाजी कर रहे है.
    धन्यवाद

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  3. चाहे बनावटी ही सही,
    दलित प्रेम जीवित तो रखा हुआ है।

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