"आख़िर हार गई, अर्चना !!" - यही कहना था उन सभी का जिसने भी यह सुना कि अर्चना पाठक नहीं रहीं !!
अर्चना पाठक मैनपुरी जनपद के बुद्धिजीवियों के लिए कोई नया नाम नहीं, सभी जानते थे उनको और उनके संघर्ष पूर्ण जीवन को !! किसी से भी कुछ भी छिपा नहीं, एक खुली किताब की तरह !
पिछले २ महीने से लगातार अपनी गिरती हुयी सेहत से परेशान अर्चना ने दिनांक २४/१०/२००९, दिन शनिवार प्रातः ११ बजे आख़िर हार मान ली और अपने चौथियाना मोहल्ला के निवास पर अपनी अन्तिम साँस ली ! वे लंबे समय से गुर्दे की बीमारी से जूझ रही थीं |
मैनपुरी में आप हस्तकला विशेषज्ञ के रूप में जानी जाती थीं | अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र जैसे विषयो से डबल एम.ए. की हुई अर्चना ने कलकत्ता के विख्यात कालाविध शंतिरंजन बोस से हस्तकला का प्रशिक्षण लिया था | आप लेदर बाटिक, क्ले मॉडलिंग, पोट्रेट, समेत कला के विभिन्न विधाओं की विशेषज्ञ थीं | अपने कैमल क्रयालिन की राष्ट्रीय पेंटिंग प्रतियोगिता में २ बार प्रथम पुरस्कार हासिल कर मैनपुरी जनपद को गौरवान्वित किया|
मैनपुरी में जिस ज़माने में लड़कियों की शिक्षा पर ही सवाल उठाये जाते थे उस समय अर्चना पाठक एक केडिट के रूप में भारत स्काउट एंड गाइड्स एवं एन सी सी में मैनपुरी का प्रतिनिधित्व कर रहीं थीं | यह उनके जीवन के छात्रावस्था काल की बात है |
उनका जीवन अनेक उतार चडाव से भरा था पर हर बार वो अपने आप को प्रोत्साहित कर आगे बढ़ती जाती थीं | कभी हार न मानना ही उनके जीवन का मूल मंत्र था | पर उस परम पिता की इच्छा के आगे वो भी हार गयीं !
मैनपुरी में आयोजित विभिन्न कला प्रतियोगिताओ में निर्णायक के रूप में आमंत्रित की गई अर्चना पाठक को जानने वाले जनपद के विभिन्न बुद्धिजीवियों ने गहरा शोक प्रकट किया है उनके निधन पर |
अपनी अर्चना मौसी को और क्या दे सकता था मैं सिवाए इस विनम्र श्रद्धांजलि के |
अर्चना पाठक मैनपुरी जनपद के बुद्धिजीवियों के लिए कोई नया नाम नहीं, सभी जानते थे उनको और उनके संघर्ष पूर्ण जीवन को !! किसी से भी कुछ भी छिपा नहीं, एक खुली किताब की तरह !
पिछले २ महीने से लगातार अपनी गिरती हुयी सेहत से परेशान अर्चना ने दिनांक २४/१०/२००९, दिन शनिवार प्रातः ११ बजे आख़िर हार मान ली और अपने चौथियाना मोहल्ला के निवास पर अपनी अन्तिम साँस ली ! वे लंबे समय से गुर्दे की बीमारी से जूझ रही थीं |
मैनपुरी में आप हस्तकला विशेषज्ञ के रूप में जानी जाती थीं | अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र जैसे विषयो से डबल एम.ए. की हुई अर्चना ने कलकत्ता के विख्यात कालाविध शंतिरंजन बोस से हस्तकला का प्रशिक्षण लिया था | आप लेदर बाटिक, क्ले मॉडलिंग, पोट्रेट, समेत कला के विभिन्न विधाओं की विशेषज्ञ थीं | अपने कैमल क्रयालिन की राष्ट्रीय पेंटिंग प्रतियोगिता में २ बार प्रथम पुरस्कार हासिल कर मैनपुरी जनपद को गौरवान्वित किया|
मैनपुरी में जिस ज़माने में लड़कियों की शिक्षा पर ही सवाल उठाये जाते थे उस समय अर्चना पाठक एक केडिट के रूप में भारत स्काउट एंड गाइड्स एवं एन सी सी में मैनपुरी का प्रतिनिधित्व कर रहीं थीं | यह उनके जीवन के छात्रावस्था काल की बात है |
उनका जीवन अनेक उतार चडाव से भरा था पर हर बार वो अपने आप को प्रोत्साहित कर आगे बढ़ती जाती थीं | कभी हार न मानना ही उनके जीवन का मूल मंत्र था | पर उस परम पिता की इच्छा के आगे वो भी हार गयीं !
मैनपुरी में आयोजित विभिन्न कला प्रतियोगिताओ में निर्णायक के रूप में आमंत्रित की गई अर्चना पाठक को जानने वाले जनपद के विभिन्न बुद्धिजीवियों ने गहरा शोक प्रकट किया है उनके निधन पर |
अपनी अर्चना मौसी को और क्या दे सकता था मैं सिवाए इस विनम्र श्रद्धांजलि के |
जाओ खूब खुश हो कर जाओ,
और जाते जाते यह भी जान जाओ,
जिसने हर बार की तकरार तुमसे न जाने किन किन बातों पर,
वही मैं आज यह कहता हूँ बहुत याद आओगी तुम न जाने किन किन बातों पर !!
बहुत कुछ सहा तुम ने ता-उमर,
अब बहुत हुआ जहाँ भी रहो खुश रहना,
'उससे' कर देना शिकायत,
नहीं तुम्हे है अब कुछ सहना,
बस मौसी अब खुश रहना !!
और जाते जाते यह भी जान जाओ,
जिसने हर बार की तकरार तुमसे न जाने किन किन बातों पर,
वही मैं आज यह कहता हूँ बहुत याद आओगी तुम न जाने किन किन बातों पर !!
बहुत कुछ सहा तुम ने ता-उमर,
अब बहुत हुआ जहाँ भी रहो खुश रहना,
'उससे' कर देना शिकायत,
नहीं तुम्हे है अब कुछ सहना,
बस मौसी अब खुश रहना !!
अर्चना मौसी जी को हमारी तरफ़ से भी श्रद्धांजलि!! बहुत अच्छा लगा इन के बारे पढ कर.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद