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गुरुवार, 15 अक्टूबर 2009

बॉस को शुक्रिया कहने का दिन कल - 16 अक्टूबर


यदि बॉस ने आपकी तरक्की या आपके कल्याण के लिए कुछ किया है तो 16 अक्टूबर का दिन उसका शुक्रिया अदा करने के लिए सबसे उपयुक्त दिन है, क्योंकि इस तारीख को बॉस दिवस जो पड़ता है।
हालांकि बहुत से परामर्शदाता यह भी मानते हैं कि यदि बॉस ने आपके लिए कुछ नहीं किया है, तब भी मधुर संबंध बनाए रखने के लिए किसी न किसी बहाने 16 अक्टूबर को उनको शुक्रिया जरुर बोलिए।
बॉस डे की शुरुआत 1958 में अमेरिका के डीरफील्ड, इलिनोइस स्थित फार्म इंश्योरेंस कंपनी की सचिव पैट्रिसा बेज हैरोस्की ने की थी। भारत में हालांकि यह दिवस लोकप्रिय नहीं है और बहुत से लोग इसके बारे में नहीं जानते। हिंदुस्तान कंप्यूटर्स लिमिटेड में अभियंता के रूप में कार्यरत ऋषि कुमार ने कहा कि वह बॉस डे के बारे में नहीं जानते और बॉस का आभार व्यक्त करने के लिए किसी दिन विशेष की जरूरत भी नहीं समझते। वैसे उनके अपने बॉस के साथ दोस्ताना रिश्ते हैं।
अमेरिका में 16 अक्टूबर को इस दिन की शुरुआत इसलिए हुई, क्योंकि इस तारीख को पैट्रिसा के बॉस का जन्मदिन था। इसलिए उन्होंने यूएस चैम्बर ऑफ कॉमर्स में इस दिन का पंजीकरण बॉस डे के रूप में करा दिया। पंजीकरण के चार साल बाद 1962 में इलिनोइस राज्य के गवर्नर ओटो केरनर ने भी हैरोस्की की पहल का समर्थन किया और 16 अक्टूबर को बॉस डे मनाए जाने की आधिकारिक घोषणा कर दी।
इसके बाद अमेरिका में यह दिन काफी लोकप्रिय हो गया और अब इसे वहां राष्ट्रीय बॉस दिवस का दर्जा मिल गया है। अमेरिका से निकलकर बॉस डे अब ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और आयरलैंड जैसे देशों में भी मनाया जाने लगा है। अमेरिका में बॉस डे के अस्तित्व में आने के बाद कई ऐसी किताबें भी लिखी गईं जिनमें बॉस से मधुर संबंध स्थापित करने के तौर-तरीके बताए गए हैं। हेनरी रिच‌र्ड्सन की पुस्तक 'बॉस एंड हिज एंप्लॉई' में कहा गया है कि यदि जीवन में आगे बढ़ना है तो हर हाल में बॉस से बनाकर रखिए।
उन्होंने लिखा है कि यदि बॉस तुनकमिजाज हो तो अत्यंत सावधानी बरतने की जरूरत है। जब वह गुस्से में हो तो उसकी बात को कभी मत काटिए और हां में हां मिलाइए। कोई भी काम करने से पहले उसका परामर्श जरूर लीजिए। इससे बॉस और कर्मचारी के बीच स्वस्थ संबंधों का विकास होगा।
समाजशास्त्री स्वर्ण सहगल का कहना है कि बॉस का आभार व्यक्त करने के लिए किसी खास दिन की जरूरत नहीं है। आभार कभी भी व्यक्त किया जा सकता है। उनका कहना है कि बॉस और अधीनस्थ कर्मचारी, दोनों समाज का ही हिस्सा हैं और उन्हें एक दूसरे के साथ सामाजिक व्यवहार करना चाहिए। बॉस में न तो अहं और तुनकमिजाजी होनी चाहिए और न ही कर्मियों में बॉस के आदेश का उल्लंघन करने की मनोवृत्ति होनी चाहिए।

6 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया जानकारी दी है साहेब!
    शुक्रिया बॉस!
    धनतेरस, दीपावली और भइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!

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  2. अजी भारत मै तो रोज ही मनाते है हमारे प्यारे प्यारे साथी बांस दे....यानि बांस डे( चम्म्चा ही तो मनाता है यह दिन)
    आप को ओर आप के परिवार को दिपावली की शुभकामानायें.

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  3. भाई मैं भी नहीं जानता था। इस पोस्ट को पढने के बाद तुरत अपने बॉस को फोन किया और उनका आभार जताया!
    बॉस पर एक कोटेशन याद आ गया, आपसे शेयर करता हूं,
    “BOSS, IF HE IS GENTLEMAN HE WILL NEVER MENTION IT THAT HE IS BOSS AND SUBORINATE, IF HE IS ALSO A GENTLEMAN HE WILL ALWAYS REMEMBER IT.”

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  4. अब इतने डे मनाए जाने लगे हें कि इनका महत्व ही नगण्य
    लगने लगा है |जब अति होजाए तो महत्त्व नहीं रह जाता |
    कुख दिन पहले ही तो हेंड वाश दे और गंजा दिवस बीते हें |
    खैर नई जानकारी के लिए बधाई
    आशा

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  5. बहुत बढ़िया जानकारी। यस बॉस! बॉस इज आलवेज राइट्।

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