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बुधवार, 7 अक्टूबर 2009

करवा चौथ की कहानियां


करवा चौथ की कहानियां

सुहागिनें करवा चौथ पर रंग-बिरंगे परिधान पहनती हैं, आभूषण और विविध प्रकार के श्रृंगार से खुद को सजाती हैं। हाथों पर मेहंदी लगाती हैं। मान्यता है कि जितनी अधिक मेहंदी रचती है, उतना ही सौभाग्य और खुशहाली घर में आती है। चंद्रमा उदय होने के बाद विवाहित स्त्रियां इनकी विधि-विधान से पूजा-अर्चना करती हैं।
इसके बाद पति के हाथों से ही जल और फल ग्रहण करती हैं। बाद में करवा चौथ के अवसर पर तैयार विविध व्यंजन खाती हैं। इस अवसर पर एक-दूसरे को उपहार भी लिए और दिए जाते हैं, ताकि सामाजिक संबंध सुदृढ़ हों।

कहानी 1-गणेश पूजा

एक साहूकार के सात पुत्र और एक पुत्री वीरवति थी। पुत्री सहित सभी पुत्रों की वधुओं ने करवा चौथ का व्रत रखा था। रात्रि में जब भाइयों ने वीरवति से भोजन करने को कहा, तो उसने कहा कि चांद निकलने पर अ‌र्घ्य देने के बाद ही भोजन करूंगी। इस पर भाइयों ने नगर से बाहर जाकर अग्नि जला दी और छलनी से प्रकाश निकलते हुए उसे दिखा दिया और चांद निकलने की बात कही। वीरवति अपने भाई की बातों में आ गई। कृत्रिम चंद्र प्रकाश में ही उसने अ‌र्घ्य देकर अपना व्रत खोल लिया।
कहते हैं कि इसके बाद उसका पति बीमार पड़ गया। घर की सभी जमा-पूंजी उसकी बीमारी में ही खर्च हो गई। उसे इस बात का बहुत पश्चाताप हुआ। उसने गणेश जी की प्रार्थना करते हुए विधि विधान से पुन: चतुर्थी व्रत करना शुरू कर दिया। गणेश जी उसकी श्रद्धा भक्ति पर अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने उसके पति को आरोग्य प्रदान करने के साथ-साथ धन-संपत्ति से भी युक्त कर दिया।

कहानी 2-सावित्री सत्यवान कथा

मान्यता है कि सत्यवान की आयु पूरी होने के बाद यम उसके प्राण लेने के लिए आ पहुंचे। सत्यवान की पत्नी सावित्री यम से उसके प्राणों की भीख मांगने लगी।
यम के इंकार कर देने पर उसने अन्न-जल ग्रहण करना त्याग दिया। कहते हैं कि उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर यम ने सत्यवान की जिंदगी लौटा दी।
इस दिन चतुर्थी तिथि होने के कारण करवा चौथ मनाने की प्रथा प्रचलित हो गई।

कहानी 3-करवा की कहानी

इस कथा के अनुसार, करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री थी। एक बार नदी में स्नान करते समय उसके पति को एक मगरमच्छ ने पकड़ लिया। कहते हैं कि करवा ने अपने पतिव्रत शक्ति से मगरमच्छ को एक धागे से बांध दिया और चल पड़ी यमलोक। वहां उसने मृत्यु के देवता यम से अपने पति को जीवनदान देने की प्रार्थना की। लेकिन यम नहीं माने। करवा क्रोधित हो गई। पतिव्रता स्त्री की शक्ति से भय खाकर यम ने करवा के पति को लंबी आयु प्रदान कर दी।

कहानी 4-द्रौपदी ने रखा व्रत

अर्जुन एक बार तपस्या के लिए नीलगिरी पर्वत चले गए। उनके पीछे उनके भाइयों और द्रौपदी को अपार कष्ट सहना पड़ रहा था। कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण की सलाह पर उसने अपने पति और घर की सुख-शांति के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था।

3 टिप्‍पणियां:

  1. अपने करवा चौथ की कहानियों का अच्‍छे से प्रस्‍तुत किया है !!

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  2. आप का लेख ओर यह कहानीयां बहुत अच्छी लगी,
    आप ओ करवाचौथ की हार्दिक शुभकामनाये,
    धन्यवाद

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