बिहार में इस वर्ष छठ पूजा सांप्रदायिक भाई-चारे का संदेश दे रही है। पटना के कमला नेहरू नगर की नसीमा खातून छठ पर्व के पहले दिन गुरुवार को 'नहाय-खाय' के साथ अपना छठ पर्व शुरूकर चुकी है।
नसीमा की तरह यहां बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं छठ व्रत कर रही है। चार दिनों तक चलने वाले लोक आस्था के इस पर्व के पहले दिन नहाय-खाय के साथ ही छठ पर्व शुरू हुआ। नसीमा ने कहा कि वह इस पर्व को तीन वर्ष से करते आ रही है। उन्होंने कहा कि छठी मईया की कृपा से ही पुत्र की प्राप्ति हुई है। मैं नियमपूर्वक गंगा तट पर जाकर सूर्य को अर्घ्य दूंगी।
इधर, रेशमा भी पहली बार छठ पर्व कर रही है। उन्होंने कहा कि इसमें हिंदू-मुस्लिम वाली कोई बात नहीं है। श्रद्घा और विश्वास ही सही पूजा है। उल्लेखनीय है कि पटना में छठ में प्रसाद बनाने के लिए अधिकांश चूल्हे भी मुस्लिम परिवार द्वारा ही बनाए जाते है। मुस्लिम परिवार का कहना है कि आदमी को मिट्टी से शिक्षा लेनी चाहिए।
दरअसल, चूल्हे में लगने वाली मिट्टी किसी प्रकार के भेदभाव के शिकार नहीं होती। लगातार 20 वर्षो से छठ के लिए चूल्हा बेचने वाले मोहम्मद सलालुद्दीन का कहना है कि वह अन्य दिनों में बर्तन बेचने का काम करते है, लेकिन छठ के मौके पर वह चूल्हे बनाने का काम करते है। छठ व्रती 'खरना' के दिन इन्हीं चूल्हों पर प्रसाद बनाया जाता है।
बहुत सुंदर बात , बहुत अच्छी जानकारी दी आप ने
जवाब देंहटाएंआपने सही फरमाया है।
जवाब देंहटाएंये उत्सव और त्यौहार हमें शिक्षा
और प्रेरणा दोनों ही प्रदान करते हैं।