झुकते है "झंडे" और "सिर" भी |
न होती कोई आँख नम,
न पड़ता फर्क किसी को,
जवान बेटे , भाई होते शहीद ,
जब जब गिरते 'मिग' मेरे देश में ..... |
रोता है दिल ,रोता हूँ मैं भी ....
क्यों है "शहादत" के यह हाल मेरे देश में ...??
घर घर शहीद की बेवा,
क्यों मांजती है थाल मेरे देश में .....??
नहीं है कोई बैर नेताओ से मुझ को,
न मैं कहेता कि "जाए" कोई भी 'एसे',
रहेगा "गणतंत्र" तो रहेगे नेता भी,
है दुनिया का सब से बड़ा प्रजातंत्र मेरे देश में ...|
बस चाहता हूँ इतना .....,
कि मिले शहीदों को मान मेरे देश में ....||
फ़िर कहेता हूँ यारो याद रखना ......
जो मरे कोई "नेता" तो रोते है हजारो,
जवाब देंहटाएंझुकते है "झंडे" और "सिर" भी |
न होती कोई आँख नम,
न पड़ता फर्क किसी को,
बहुत खुब लिखा आप ने जब नेता मरता है तो कोई नही रोता, बस दिखावा ही होता है, ओर लोग दबी जबान से कहते है मर गया साला कमीना....
ओर जब कोई जवान मरता है तो हर इंसान अंदर तक हिल जाता है हर आंख मै आंसू होते है, हर दिल रोता है.
सलाम है आप की कविता को, आप की कलम को.
बहुत सुंदर लिखा
धन्यवाद
बहुत खूबसूरत ख्याल है और हम भी यही चाहते हैं सुन्दर रचना के लिये बधाई
जवाब देंहटाएंSach ko aaina dikha diya aapne.
जवाब देंहटाएं( Treasurer-S. T. )
Bilkul sahi kaha....Aapke man ke ye bhaav jan jan ke man ke bhaav hain.
जवाब देंहटाएंख़ूब कही...........
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब कही..........
बधाई !
"बस चाहता हूँ इतना .....,
जवाब देंहटाएंकि मिले शहीदों को मान मेरे देश में ....||"
बहुत उत्तम भाव।
बधाई!
bahut sach...!!
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