आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस राजशेखर रेड्डी का असमय काल के गाल में जाना भारतीय राजनीति और विशेष रूप से कांग्रेस के लिए एक बड़ी त्रासदी है। वह कांग्रेस के ऊर्जावान, करिश्माई और संभावनाओं से भरे हुए एक ऐसे राजनेता थे जिन्होंने खुद की क्षमता सिद्ध की। उनकी छवि करिश्माई नेता के रूप में तब तब्दील हुई जब उन्होंने पांच साल तक शासन करने के बाद सत्ता विरोधी रुझान को मात देते हुए दोबारा जीत हासिल की। राजशेखर रेड्डी अपनी राजनीतिक सजगता और प्रशासनिक कौशल के साथ-साथ इसलिए भी याद किए जाएंगे कि वह न केवल व्यापक जनाधार वाले राजनेता थे, बल्कि आम जनता के बीच लगातार सक्रिय भी रहते थे। वह सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर जैसी नजर रखते थे वैसा कम ही राजनेता करते हैं। शायद यही कारण है कि आंध्र प्रदेश में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अर्थात नरेगा कहीं अधिक सफल रही। इसमें संदेह नहीं कि उन्होंने लोक-लुभावन राजनीति को अंगीकार किया, लेकिन इसकी भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि वह प्रशासन के कामकाज को बेहतर करने के लिए लगातार प्रतिबद्ध रहे। इसी प्रतिबद्धता के चलते वह लगातार दौरों पर रहते थे। अंतत:..ऐसा ही एक दौरा उनकी अंतिम यात्रा में तब्दील हो गया। यद्यपि राजशेखर रेड्डी अनेक विवादों से भी घिरे, लेकिन उन्होंने अपनी छवि पर आंच नहीं आने दी।
फिलहाल यह कहना कठिन है कि राजशेखर रेड्डी का हेलीकाप्टर क्यों दुर्घटनाग्रस्त हुआ, लेकिन यह सहज ही समझा जा सकता है कि किसी न किसी स्तर पर असावधानी का परिचय दिया गया। या तो हेलीकाप्टर में कोई खराबी रही होगी या फिर इतने खराब मौसम में उड़ान भरने के संभावित जोखिम की अनदेखी की गई होगी? इस दुर्घटना की जांच का नतीजा कुछ भी हो, इस तरह के हादसों को विधि की विडंबना और नियति के खेल की संज्ञा देकर कर्तव्य की इतिश्री नहीं होनी चाहिए। दुर्घटना के संदर्भ में नागरिक उड्डयन महानिदेशालय चाहे जैसे दावे क्यों न करे, हमारे देश में हवाई यात्रा के संदर्भ में सुरक्षा-सतर्कता संबंधी मानकों का वैसा पालन नहीं होता जैसा कि आवश्यक ही नहीं, बल्कि अनिवार्य है। दुर्घटना के बाद जिस तरह नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने यह कहा कि हेलीकाप्टर में कोई खराबी नहीं थी और उसकी समस्त प्रणाली सही तरह काम कर रही थी उसके बाद तो इस हादसे की गहन जांच की आवश्यकता और अधिक बढ़ जाती है। यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि यदि हेलीकाप्टर में सब कुछ दुरुस्त था तो यह हादसा कैसे हुआ? जांच इसकी भी होनी चाहिए कि इतने खराब मौसम में उड़ान क्यों भरी गई? जहां एक ओर यह जरूरी है कि हवाई यात्राओं के दौरान सुरक्षा के मानकों पर पूरा ध्यान दिया जाए वहीं राजनेताओं और अधिकारियों के लिए भी यह आवश्यक है कि वे इस प्रकार की यात्राओं में जोखिम लेने से बचें। यह अनेक बार सामने आ चुका है कि महत्वपूर्ण व्यक्तियों की हवाई यात्राओं के दौरान सुरक्षा-सतर्कता संबंधी मानकों से समझौता कर दिया जाता है। इसके चलते अनेक हादसे हो चुके हैं। वैसे तो हर बार ऐसे हादसों से सबक लेने के आश्वासन दिए जाते हैं, लेकिन शायद ऐसा होता नहीं। यदि हुआ होता तो संभवत: शोक के इस अवसर से बचा जा सकता था।
( ऊपर दिए गए चित्र में :- हैदराबाद एयरपोर्ट पर बेल 430 हेलीकाप्टर पर सवार मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी। साथ हैं प्रधान सचिव एस सुब्रमण्यम। बुधवार, 2 सितंबर की सुबह इसी हेलीकाप्टर से उन्होंने चित्तूर जाने के लिए आखिरी उड़ान भरी थी। नीचे दिए चित्र में दुर्घटनाग्रस्त हेलीकाप्टर का मलबा )
सभी मैनपुरी वासीयों की ओर से श्रध्दासुमन |
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस राजशेखर रेड्डी को श्रद्धाञ्जलि समर्पित करता हूँ।
जवाब देंहटाएंयह त्रासदी टल सकती थी वाकई अगर सूझ बूझ से काम लिया जाता -शरद कोकास
जवाब देंहटाएंअत्यन्त दुखद...........
जवाब देंहटाएंहृदयविदारक घटना.............
परमात्मा दिवंगत को शान्ति प्रदान करे..........
अति दुखद!! श्रृद्धांजलि!
जवाब देंहटाएंबहुत दुःख हुआ
जवाब देंहटाएंभगवान् कृपा रखे सब पर
शिवमजी,
जवाब देंहटाएंये बाद के जोड़-घटाव हैं ! ये हादसा गर्गिज़ टाला नहीं जा सकता था. विधि का ऐसा ही विधान था ! इसे मानकर ही संतोष किया जा सकता है. हाँ, ये सच है कि फर्श से अर्श तक पहुंचनेवाले राजशेखर रेड्डी उन थोड़े-से राजनेताओं में थे, जिन्होंने स्वच्छ और कर्मठ छवि बनाई थी और आंध्र की जनता के मन को जीत लिया था ! दबी-पीसी जनता के उत्थान के लिए उन्होंने बहुत कुछ किया .... प्रभु उनकी आत्मा को शांति दें ! मेरी श्रद्धांजलि !!
वो एक पुराना गीत है न --
'विधि का लिखा कौन टाले मोरे भैया
किस्मत के खेल निराले मोरे भैया !!'
पहली-दूसरी पंक्ति मैंने इसीलिए लिखी है, बात पहुंची न ? --आ.
ईश्वर कभी गलत नहीं करता,जो होता है अच्छे के लिए होता है.
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