आतंकवाद के खिलाफ अपने अभियानों को मजबूती देने के लिए भारतीय सेना ने कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने का फैसला किया है। इसके तहत नौ मिमी सेमीआटोमैटिक पिस्तौल और विशेष प्रकार की जनरल परपस मशीन गन [जीपीएमजी] खरीदे जाएंगे।
सेना के सूत्रों ने बताया, 'बड़े शहरों में आतंकियों से लड़ाई के दौरान नौ मिमी कारतूस की क्षमता वाली पिस्टल को बेहद कारगर पाया गया। इसलिए इन अत्याधुनिक हथियारों को सेना में शामिल करके विशेष सैनिक बल व अन्य सैन्य इकाईयों की क्षमता बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है।'
उन्होंने कहा कि 'नई पिस्तौल रात के समय लड़ाई में मदद करने वाले यंत्रों से भी लैस होगी। इसमें लेजर बीम और अत्यधिक तीव्रता वाली फ्लश लाइट लगे होंगे।' उन्होंने बताया कि यह पिस्तौल रात में हुए मुंबई हमले जैसे आतंकी हमले में बेहद कारगर साबित होगी। फिलहाल सेना के पास नौ मिमी की बेरेटा पिस्टल हैं। इनका पिछले कई दशक से इस्तेमाल हो रहा है।
सूत्रों का कहना है कि सेना के लिए अत्याधुनिक ग्लाक-17 एस पिस्तौल खरीदने के बारे में सोचा जा रहा है। इनका इस्तेमाल राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड [एनएसजी] ने मुंबई के 'आपरेशन टोरनाडो' अभियान में किया था।
इराक और अफगानिस्तान में आतंकियों के खिलाफ अमेरिकी और नाटो सेना ने भी जीपीएमजी गन का सफलता पूर्वक इस्तेमाल किया है। यह गन 1200 मीटर तक मार कर सकती है और वजन में इतनी हल्की है कि पैराशूट से कूदते समय भी साथ में रखा जा सकता है। जीपीएमजी को मीडियम मशीन गन भी कहा जाता है। इसमें 7.62 मिमी राउंड की क्षमता होती है और काफी दूरी तक निशाना साध सकती है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपकी टिप्पणियों की मुझे प्रतीक्षा रहती है,आप अपना अमूल्य समय मेरे लिए निकालते हैं। इसके लिए कृतज्ञता एवं धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।