सदस्य

 

शनिवार, 19 सितंबर 2009

कश्मीर में पाकिस्तान की नापाक दखल

भारत के प्रथम गवर्नर जनरल लार्ड माउंटबेटन के 27 अक्टूबर, 1947 को कश्मीर के विलय-पत्र पर हस्ताक्षर करते ही भारत ने अपनी सेना को हवाई-मार्ग से श्रीनगर के लिए रवाना कर दिया था। श्रीनगर से उरी तक, यानी कृष्णगंगा नदी के पूर्वी भाग को पाकिस्तान के नियंत्रण से मुक्त करा दिया गया। एक नवंबर को राष्ट्रसंघ द्वारा युद्धविराम की घोषणा होते ही भारतीय सेना कृष्णगंगा नदी के इस पार ही रुक गई, जबकि दूसरी ओर पाकिस्तान ने युद्धविराम के 15 दिन बाद तक यानी 16 नवंबर तक कार्रवाई जारी रखी और पूरे गिलगित को अपने नियंत्रण में कर लिया। जिला मुजफ्फराबाद से 30 किलोमीटर तक यानी कृष्णगंगा का पश्चिमी भाग पाकिस्तान ने हथिया लिया और इसे आजाद कश्मीर का नाम दे दिया।
साक्ष्यों से स्पष्ट हो जाता है कि 1947 के युद्ध के लिए पाकिस्तान ही पूरी तरह उत्तरदायी है। यह बात भी साफ है कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के सेनाध्यक्ष ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह और उनके साथियों की हत्या के लिए भी जिम्मेदार है। यह तथ्य भी सामने आ चुका है कि महाराजा हरि सिंह के साथ 'नो वार' समझौते के बाद भी पाकिस्तान ने 20 अक्टूबर 1947 को जम्मू-कश्मीर पर मुजफ्फराबाद के रास्ते हमला किया और जम्मू-कश्मीर की लगभग पांच हजार वर्गमील भूमि पर कब्जा जमा लिया। लार्ड माउंटबेटन की सलाह पर भारत ने पाकिस्तान के इस हमले के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में एक अर्जी दाखिल की, जिसकी सुनवाई आज तक पूरी नहीं हो सकी है। 1 नवंबर, 1947 को संयुक्त राष्ट्र ने युद्धविराम का आदेश दिया और उस आदेश के बाद भी अस्तौर में जम्मू-कश्मीर महाराजा द्वारा नियुक्त किए गए राज्यपाल ब्रिगेडियर घनसारा सिंह को मुस्लिम स्काउटों ने बंदी बना लिया और 16 नवंबर को उन्हें पाकिस्तान की सेना के हवाले कर दिया। इसी दिन पाकिस्तानी सैनिकों ने पूरे गिलगित-बल्तिस्तान में से गैरमुस्लिम लोगों को मार भगाया और जम्मू-कश्मीर के इस हिस्से को अपनी एक बस्ती के रूप में हथिया लिया। इसकी आबादी 5-6 लाख रही होगी और क्षेत्रफल 32,500 वर्ग मील। इसी क्षेत्र में चितराल, गिलगित और कराकोरम क्षेत्र शामिल हैं। 1963 में कराकोरम के 4,500 वर्गमील क्षेत्र को पाकिस्तान ने चीन के हवाले कर दिया।
16 नवंबर को जम्मू-कश्मीर के गिलगित का लगभग एक-तिहाई क्षेत्र पाकिस्तान ने हथिया लिया और 25 नवंबर, 1947 को पाकिस्तानी सेना की सहायता से कुछ लोगों ने हजारों गैर-मुस्लिमों को मीरपुर के मैदान में इकट्ठा कर उन पर गोलीबारी शुरू कर दी। तथाकथित आजाद कश्मीर भारत के नेताओं की गलतियों के कारण अस्तित्व में आया। गिलगित-बल्तिस्तान के जिलों को पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर का वैधानिक अंग करार दिया है, जिसका क्षेत्र 32,500 वर्ग मील है। उसके एक जिले चितराल को पाकिस्तान ने स्वात घाटी का जिला घोषित कर दिया है। इतना ही नहीं, पाक अधिकृत कश्मीर के 28,000 वर्ग मील भूमि पर रहने वाले 15 लाख लोगों के लिए न्यायालय की कोई सुविधा नहीं है। इन लोगों को कोई मौलिक अधिकार प्राप्त नहीं है। न वहा संविधान लागू है, न कोई अस्पताल है, न कालेज है। इस क्षेत्र की कोई विधानसभा भी नहीं है। केवल पंचायत जैसी काउंसिल शोषण गृह है, जिसका प्रशासन पाकिस्तानी सेना का एक कर्नल चलाता है और बाकी प्रशासनिक अधिकार एक तहसीलदार को दिए गए हैं।
लाखों पाकिस्तानियों ने, जिनमें अधिकतर रिटायर्ड पाकिस्तानी सैनिक ही हैं, इन गरीब बेसहारा लोगों को न्याय से वंचित करके इनकी जमीनों पर कब्जा कर रखा है। यदि हालात नहीं बदलते तो 10 वषरें में गिलगित-बाल्तिस्तान की पूरी जनसांख्यिकी ही बदल जाएगी। हाल ही में बलावरिस्तान मुक्ति मोर्चा के एक नेता अब्दुल हामिद खान किसी तरह दिल्ली पहुंचे और भारत के नेताओं के सामने उन्होंने पाकिस्तान के उत्पीड़न से मुक्ति दिलाने में मदद करने की अपील की, परंतु ऐसा लगता है कि या तो भारत के राजनेता जम्मू-कश्मीर के इतिहास से बेखबर हैं या वे गिलगित में हो रहे नरसंहार की परिस्थितियों को स्वीकार नहीं करना चाहते।
आश्चर्य इस बात का है कि पाकिस्तान की ओर से अंतरराष्ट्रीय नियमों के इतने घोर आपराधिक उल्लंघन, मानवाधिकारों की अवहेलनाओं, राष्ट्रसंघ द्वारा पारित युद्ध-विराम के आदेश तथा पारित किए गये प्रस्तावों के खुल्लमखुल्ला उल्लंघन के बावजूद पूरा राष्ट्र इससे बेखबर रहा और पिछले छह दशकों से भारत व जम्मू-कश्मीर के लोगों, जिनमें बुद्धिजीवी, विचारक और राजनेता सभी शामिल है, ने पाकिस्तान के इन आपराधिक कृत्यों का मामला विश्व-समुदाय के सामने नहीं उठाया।
 
- प्रो. भीम सिंह  [लेखक पैंथर्स पार्टी के प्रमुख हैं]

3 टिप्‍पणियां:

  1. Itani wistrut aur sateek jankaree ke liye shukriya. Ye sab humare rajneetigyon ko pata nahee hai ya pakistan ke sath unki bheetari santh ganth hai ? janata hee bhugat rahee ahi aur bhugtegi bhee.

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत खुब, इस लाजवाब रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई। नवरात्र की हार्दिक शुभकामनायें.........

    जवाब देंहटाएं
  3. नवरात्र की हार्दिक शुभकामनायें. आप का लेख पढा,यह बात बहुत से लोग जानते है, लेकिन हमारे नेता नही जानते, ओर जो बात नेता जानते है वह बात उन्हे वोट देने वाले नही जानते कि इन कमीनो ने अपनी आंखे सिर्फ़ वोटो के लिये बन्द कर रखी है, ओर वो इन नेताओ को कुत्ता समझ कर वोट की वोटी इन के सामने डाल देते है

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियों की मुझे प्रतीक्षा रहती है,आप अपना अमूल्य समय मेरे लिए निकालते हैं। इसके लिए कृतज्ञता एवं धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।

ब्लॉग आर्काइव

Twitter