देर से ही सही, चीन के रणनीतिक पैंतरों का भारत ने जवाब देना शुरू कर दिया है। महज 17 महीनों के भीतर चीन से लगने वाली सरहद के किनारे भारत ने तीसरी हवाई पंट्टी पर शुक्रवार को विमान उतार दिया। लद्दाख के पूर्वी क्षेत्र में स्थित न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड पर पहली बार वायु सेना का एन-32 विमान उतरा। यह जगह वास्तविक नियंत्रण रेखा से महज 23 किमी दूर है। इस उड़ान ने यह बता दिया कि जरूरत पड़ने पर भारत अग्रिम मोर्चो पर अपने जवान और रसद तत्काल पहुंचा सकता है।
न्योमा पहुंची इस उड़ान के साथ गए सेना की उत्तरी कमान के मुखिया व भावी उप सेनाध्यक्ष ले. जनरल पी.सी. भारद्वाज और वायु सेना की पश्चिमी कमान के प्रमुख एयर मार्शल नैक ब्राउने की वहां मौजूदगी भी बहुत कुछ कह रही थी। लद्दाख क्षेत्र में चीन के सीमा अतिक्रमण की घटनाओं के मद्देनजर सेना और वायु सेना के आला अफसरों ने यह संदेश जरूर दिया कि तनाव की चर्चा को सरकार भले ही तूल नहीं दे रही हो, लेकिन सरहद की हिफाजत में कोई कोताही नहीं बरती जा सकती।
वैसे आला अफसर जानते हैं कि चीन के मुकाबले सरहद पर भारत की बुनियादी सुविधाएं काफी कमजोर थी। कई मोर्चो पर चीन सरहद पर सड़क और हवाई सुविधाएं पहुंचाने में काफी आगे है। रक्षा मुख्यालय के सूत्रों के मुताबिक लद्दाख और तिब्बत के इलाके में अपनी फौजों को रसद पहुंचाने के लिए चीन के पास 20 से ज्यादा हवाई पंट्टीयां हैं। इसके बावजूद भारतीय वायु सेना की शुक्रवार की पहल काफी अहम थी।
वायु सेना की पश्चिमी कमान की प्रवक्ता फ्लाइट ले. प्रिया जोशी के मुताबिक, 'दोनों प्रमुख सैनिक कमांडरों को लेकर उड़ा एएन-32 विमान सुबह 6.25 बजे न्योमा में बने एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड पर उतरा।' अब तक हेलीकाप्टरों के लिए इस्तेमाल हो रही इस विमान पंट्टी पर पहली बार उतरे एएन-32 को ग्रुप कैप्टन एस.सी. चाफेकर उड़ा रहे थे। न्योमा में बनी हवाई पंट्टी समुद्र तल से 13,300 फीट की ऊंचाई पर है। गौरतलब है कि भारत इससे पहले दुनिया की सबसे ऊंची हवाई पंट्टी दौलत बेग ओल्डी [16,200 फीट] पर मई में और नवंबर 2008 में फुकचे हवाई पंट्टी पर विमानों की आवाजाही शुरू कर चुका है।
न्योमा में हवाई पंट्टी का निर्माण सेना और वायु सेना के बीच बेहतर तालमेल की भी मिसाल है। इस हवाई पंट्टी का निर्माण सेना के 14 कोर्प्स की इंजीनियर रेजीमेंट ने किया है। फ्लाइट ले. जोशी ने कहा कि न्योमा सेना के अंगों के बीच साझेदारी का प्रतीक है, जिसमें दुर्गम इलाकों में सेना के लिए रसद पहुंचाने में लगे वायु सेना के विमानों का पहुंचना फौज ने आसान बना दिया है।
ye to aapne bahut sahee jankaree dee hai, jalate hue dil ko thodee rahat milee hai.
जवाब देंहटाएं"देर से ही सही, चीन के रणनीतिक पैंतरों का भारत ने जवाब देना शुरू कर दिया है।"
जवाब देंहटाएंअच्छी खबर है।
देर आयद, दुरुस्त आयद!