अमेरिका के न्यूयार्क शहर में 11 सितंबर 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए आतंकी हमले में मारे गए 3000 से ज्यादा लोगों को अमेरिका में 11 सितंबर को 'पेट्रिअट डे' के रूप में याद किया जाता है।
दरअसल 11 सितंबर को न्यूयार्क में आतंकी हमले के तहत दो विमान जुड़वा वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से जा टकराए। दोनों इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गईं। आतंकियों द्वारा हाइजैक किया हुआ तीसरा विमान वाशिंगटन के पेंटागन के बाहर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जबकि चौथा विमान पेंसिलवेनिया में गिरकर ध्वस्त हो गया। अमेरिका के लिए यह एक बड़ा आघात था।
अमेरिका ने सुपर पावर का जो आवरण ओढ़ रखा है, उसका दंभ कम न हो जाए, इसलिए भी उसने इस हमले को न केवल एक सबक के रूप में लिया, बल्कि अपनी सुरक्षा व्यवस्था को इतना चाक चौबंद कर दिया कि अमेरिका में कदम रखने वाला चाहे कितना ही बड़ा व्यक्ति क्यों न हो उसे सघन जांच के दौर से गुजरना पड़ता है।
अभी हाल ही में अमेरिका में शाहरूख खान के साथ घटित मामले में कुछ ऐसा ही हुआ। नाम के साथ खान जुड़ा होने के चलते अमेरिकी हवाई अड्डे पर सुरक्षा के नाम पर उन्हें दो घंटे तक रोके रखा गया।
अमेरिका पर हुआ हमला इतना विध्वंसक और अचानक था कि उसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। आतंकवाद की लानत भले ही नई न हो, लेकिन दुनिया के सबसे ताकतवर देश के सीने पर चढ़कर आतंकी ऐसा हमला कर देंगे, ऐसा किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था। 11 सितंबर 2001 अमेरिका के इतिहास के पन्नों में एक काले अध्याय के रूप में जुड़ गया।
आतंकवाद का यह घिनौना चेहरा न केवल अमेरिका के लिए एक चुनौती बन गया, बल्कि भारत सहित आतंकवाद के शिकार दुनिया के अन्य देशों को भी इस आतंकविरोधी मुहिम में एकजुट होने पर मजबूर कर दिया।
भारत जैसे देश में एक के बाद एक बड़ी आतंकी घटना को दहशतगर्दों ने अंजाम दिया, जबकि अमेरिका में घटी एक घटना ने विश्व की इस महाशक्ति को इतना आक्रमक बना दिया कि उसने दुनियाभर से आतंकवाद का खात्मा करने के लिए अपना पैसा और ताकत झौंक दी।
9/11 के बाद अलकायदा का मुखिया ओसामा बिन लादेन अमेरिका का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया है और उसके बारे में सूचना देने वाले को करोड़ों डालर के इनाम के साथ ही अमेरिका ने आतंकियों के खिलाफ एक ऐसी मुहिम छेड़ दी है, जिसका लक्ष्य ओसामा के साथ साथ उन खतरनाक आतंकियों का सफाया करना है, जो दुनिया भर में दहशतगर्दों को पाल रहे हैं।
अमेरिका के पेट्रिअट डे मनाने का असल मकसद तभी पूरा होगा, ओसामा जिंदा या मुर्दा हाथ लग जाएगा और दुनिया के नक्शे से आतंक का नामो निशान मिट जाएगा।
सभी मैनपुरी वासीयों की ओर से '९/११' के हमले में मारे गए लोगो को हमारी श्रद्धांजलि |
लेखनी प्रभावित करती है.
जवाब देंहटाएंसंजय तिवारी ’संजू’ said...
जवाब देंहटाएंलेखनी प्रभावित करती है.
भइया सभी को यही टिप्पणी कॉपी पेस्ट करते हो।
शिवम् मिश्रा जी!
जानकारी देने के लिए आभार।
आभार इस आलेख के लिए.
जवाब देंहटाएंहमार ओर से भी श्रद्धांजलि |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर शव्दो से आप ने सब के दिल का दर्द अपने लेख मै दिया.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद