सदस्य

 

मंगलवार, 24 अगस्त 2010

एक रिपोस्ट :- एक आध्यात्मिक बंधन :- रक्षाबंधन



सभी त्यौहारों में रक्षाबंधन एक अनूठा उत्सव है , जो न तो किसी जयंती से संबंधित है और न ही किसी विजय-राजतिलक से। इस त्यौहार के तीन नाम हैं-रक्षाबंधन, विष तोड़क और पुण्य प्रदायक पर्व। यद्यपि प्रथम नाम अधिक प्रचलित है। दूसरी विलक्षणता है इसके मानाने की विधि। यह विधि बहुत ही स्नेह संपन्न, दिव्यता युक्त व मधुर है। इसे मनाने की सामग्री ही ऐसी है जैसे किसी से कोई बात मनवाने, उससे कोई वचन लेने या उससे अपने संबंधों में पवित्रता और स्नेह लाने के समय प्रयोग की जाती है। स्वाभाविक रूप से मनुष्य को किसी प्रकार का बंधन अच्छा नहीं लगता है। अत: मनुष्य जिस बात को बंधन समझता है वह उससे छूटने का प्रयत्न करता है, लेकिन रक्षाबंधन ऐसा प्रिय बंधन है जो प्रत्येक भाई दूर से चलकर अपनी बहन के इस बंधन में बंधना चाहता है। आज इस त्यौहार को लोग प्राय: या तो एक खुशी की रस्म के तौर पर मना लेते हैं या भाई-बहन के मिलने का अवसर मान लेते हैं। देव भूमि, तपो भूमि, पुण्य भूमि भारत के हर त्यौहार के पीछे कोई न कोई उच्च आध्यात्मिक आदर्श है। यह बंधन ईश्वरीय बंधन है इसलिए प्रत्येक प्राणी खुशी से बंधने के लिए तैयार रहता है।
वास्तव में बंधन शब्द प्रतिज्ञा का प्रतीक है और रक्षा मनोविकारों से बचाव का प्रतीक है। तिलक आत्मिक स्मृति का प्रतीक है और विजय हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। राखी व धागा प्रतिज्ञा में दृढ़ता का प्रतीक है। परस्पर अटूट स्नेह का प्रतीक है, जिससे हमारे मन के विचार, मुख के बोल व कर्म किसी भी विषय विकारों के अधीन न हों। मिठाई जीवन के दिव्य गुणों, मानवीय, नैतिक गुणों का प्रतीक है। खर्च का अर्थ केवल स्थूल धन से नहीं, बल्कि बुराइयों को समाप्त करने से है। जो भी कमजोर संकल्प हमारी उन्नति में बाधक हैं या कोई हमारा ही स्वभाव, संस्कार जो हमें खुशनुमा जीवन नहीं जीने देता उसे समाप्त करना है। रक्षक परमात्मा है, जो बहन और भाई, दोनों की रक्षा करता है। इसलिये कहा जाता है-जाको राखे साईंया मार सकै न कोय, बाल न बांका कर सके, चाहे सब जग बैरी होय। आइए हम सभी आत्मा रूपी भाई परमात्मा के समक्ष प्रतिज्ञा करके राखी के रहस्य को जानकर जीवन सुरक्षित और खुशनुमा बनाएं।

आप सभी को रक्षाबंधन के इस पावन अवसर पर बहुत बहुत शुभकामनाये |

3 टिप्‍पणियां:

  1. शिवम भाई! हमरा बात मानकर जो सम्मान आप हमको दिए हैं,हम आपके सदा आभारी रहेंगे..दुःख को करेजा मत लगाइए..दुःख इंसान को मांजता है, ताकि ऊ अऊर निखर कर सामने आए...आपका पोस्ट देर से सही..बहुत सराहनीय है!!

    जवाब देंहटाएं
  2. रक्षाबन्धन के पर्व पर एक उपयोगी लेख!
    --
    रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियों की मुझे प्रतीक्षा रहती है,आप अपना अमूल्य समय मेरे लिए निकालते हैं। इसके लिए कृतज्ञता एवं धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।

ब्लॉग आर्काइव

Twitter