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रविवार, 22 अगस्त 2010

कल की एक दिमागी कसरत का जवाब हाज़िर है, जनाब !!

ज़रा बताइए यह शख्स आखिर कर क्या रहा है ??
जवाब कल की पोस्ट में मिलेगा ........तब तक आप लोग अपने अपने दिमागी घोड़े भगाइए !! 
( चित्र के साथ कोई भी कलाकारी नहीं की गयी है ) 
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कल आप सब से यह सवाल पूंछा था मैंने और वादा किया था कि जवाब आज दूंगा | 

आप लोगो के जवाब तो आये पर............. केवल बिहारी बाबु सलिल वर्मा जी ही सटीक जवाब दे पाए | 

तो चलिए आप लोगो को बता ही देते है कि आखिर यह शख्स कर क्या रहा है :- 



जैसा कि आप में से बहुतों का अंदाज़ था :-



ये छप्पर नहीं है जनाब !!!!

निश्चित ही आप भी सोच रहे होंगे कि ये छप्पर नहीं तो आखिर क्या है? यह नजारा है नवाबों के शहर लखनऊ में शुक्रवार, 20 अगस्त को सेवई बनाने वाली एक औद्योगिक इकाई का। यह शख्स सेवइयों को फैला रहा है। रमजान के पवित्र माह में यह शहर सेवई की ढेर सारी छोटी-छोटी दुकानों से सज जाता है |

तो अब जब आप सब को सही जवाब का पता चल गया है तो यह भी सुन लीजिये कि इस पोस्ट जरूरत क्यों पड़ी .............
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हमारे जीवन में अक्सर ही यह होता है कि हम चीजों को जैसा देखते या समझते है वह हकीकत में वैसी होती नहीं है ........ यही बात लोगो पर भी लागू होती है तो क्यों ना हम अपना नजरिया थोडा खुला रखें और जीवन में आने वाली चीजों और लोगो को सही सही पहेचाने !

10 टिप्‍पणियां:

  1. हम चीजों को जैसा देखते या समझते है वह हकीकत में वैसी होती नहीं है ........
    क्यों ना हम अपना नजरिया थोडा खुला रखें

    एक छोटी सी पहेली के माध्‍यम से बडी सीख !!

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  2. आपने बिल्कुल सही कहा है आख़िर हम अपना नज़रिया खुला क्यूँ न रखें! धन्यवाद !

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  3. अरे! लो कल्लो बात! हम जिसे खपरैल समझे जा रहे थे..वो तो सेवंईयाँ निकली :)

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  4. पहेली के माध्यम से बहुत बढिया सीख दी जी आपने, हार्दिक आभार

    अजी हम भी तो कब से यही कह रहे हैं कि जैसा दिखता है, वैसा होता नहीं और जैसा होता है, वैसा हम समझते नहीं। अब हमें क्या पता कि हम धरती पर खडे हैं या उल्टे लटके हुये हैं!!!

    सेवईयां के बारे में और अधिक जानकारी देते जी।

    प्रणाम स्वीकार करें

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  5. वाह वाह तो ये सेवंईयाँ का छप्पर है .... भाई पहले तो हम बता नहीं पाए...

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  6. सीख और तस्वीर दोनों ही लाजबाव....मजा आगया

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