अपने मोबाइल पर लोन कंपनियों के फोन आने से केवल आम जनता ही परेशान नहीं है बल्कि देश के वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी भी लोन कंपनियों के इस तरह के अनचाहे कॉल से बचे नहीं हैं।
०४ अगस्त २०१०, सोमवार की सुबह जब मुखर्जी महंगाई के मुद्दे पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज, राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली और अन्य नेताओं के साथ बातचीत कर रहे थे, तो उनके मोबाइल पर एक फोन आया।
बैठक में मौजूद रहे लोगों ने बताया कि मुखर्जी ने अपने सहायकों से यह सोचकर मोबाइल देने को कहा कि यह महत्वपूर्ण फोन कॉल हो सकती है।
हालांकि फोन पर बातचीत करते हुए मुखर्जी ने जवाब में कहा कि नहीं, नहीं अभी नहीं। मैं एक बैठक में हूं।
इसके बाद नाराज दिख रहे मुखर्जी ने अपना मोबाइल फोन संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी. नारायणसामी के सुपुर्द कर दिया।
जब बैठक में मौजूद अन्य लोगों ने फोन के बारे में पूछा तो मुखर्जी ने बताया कि किसी फाइनेंस कंपनी से फोन था और उनसे आवास ऋण के लिए पूछा गया। मुखर्जी ने कहा कि उन्हें रोज ऐसे चार-पांच फोन आते हैं।
कुछ महीने पहले रिलायंस उद्योग के कर्ताधर्ता और भारत के सबसे धनवान उद्योगपति मुकेश अंबानी को भी एक फाइनेंस कंपनी से होम लोन के लिए फोन आने की खबरें आईं थीं।
कुछ सांसदों की भी शिकायत है कि 'डू नॉट डिस्टर्ब' सेवा लेने के बावजूद उन्हें लगातार इस तरह के फोन आते हैं।
ऐसे में सवाल यह पैदा होता है कि जब इतने बड़े बड़े लोग इस समस्या से ग्रसित है तो आम जनता का क्या हाल होता होगा ?? सरकार क्यों इस विषय पर कोई सख्त करवाई नहीं करती ? क्यों हर जरूरी मुद्दे कि तरह इस मुद्दे को भी ठन्डे बस्ते में डाल रखा है ?? अगर 'डू नॉट डिस्टर्ब' सेवा लेने के बाद भी हम लोगो को ऐसी काल्स आती है तो ज़िम्मेदार कौन है .........सरकार या मोबाइल नेटवर्क सेवा दाता ??
इस मुद्दे से जुडी हुयी एक पुरानी पोस्ट का लिंक दे रहा हूँ .............जरूर देखिएगा !
अजी यह बडे बडे लोग ही तो इस समस्या की जड है..
जवाब देंहटाएंपराए का कत्ल हो जाए तो कोई बात नहीं
जवाब देंहटाएंलेकिन अपनी छाया पे भी पैर पड़ जाए तो
तिलमिला उठते हैं लोग।
मोबाईल को आदमी चाटेगा-
गैस सिलेंडर के दाम कम होने चाहिए।
राशन की बढ रही मंहगाई कम होनी चाहिए।
अच्छी पोस्ट शिवम भाई
राम राम
कोनो बात नहीं है… कभी कभी ई लोग को भी बुझाना चहिए कि हमलोग रोज का झेलते हैं. हमरे साथ त मजेदार खिस्सा हुआ. एगो जरूरी डिस्कसन में बईठे थे, तब्बे फोन आ गया कि मैं स्वीटी बोल रही हूँ, सर आपके लिए हम एक बहुत अच्छा प्लान लेकर आए हैं... तब तक डिस्कसन रोक कर हम बोले, “स्वीटी! अभी तो मैं बिज़ी हूँ. कल क्या कर रही हो. आराम से बैठकर सुन सुना लेंगे.” ऊ हमरा अजित इस्टाइल सुनकर फोन काट दी..अऊर हमरा सीरियस डिस्कसन भी तनी लाईट हो गया जब हम पूरा बात बताए ऊ लोग को.
जवाब देंहटाएंबहुत बढिय़ा... नेता हुआ परेशान। अब शायद अनचाही कॉल्स पर रोक लगने की दिशा में कुछ काम हो। आखिर प्रणव दा को परेशानी हो गई है। सच्ची बोलूं कुछ न कुछ तो होना चाहिए इन कंपनियों के खिलाफ, चाहे जब कॉल कर देती हैं।
जवाब देंहटाएंपीछे देखा गया है कि प्रणव दा,बिना बात झल्लाते ही रहतें है! शायद इस उम्र में उनसे इतना अधिक काम लिया जाना ठीक नहीं है.
जवाब देंहटाएंमहाराजा मनमोहन भी जी जान से जुटे हैं "देश" सेवा में, हर बात पर एक जीओएम बना डालते हैं. उनसे अनुरोध है कि इस समस्या के समाधान के लिये भी एक जीओएम क्यों नहीं बना डालते?
और हाँ छोटे राजा (दूर-संचार मंत्री)को उसका अध्यक्ष जरूर बनवा दीजिये..ट्रिन-ट्रिन को खन-खन में बदलना तो कोई उनसे सीखे.
भाई बड़े दुखी नहीं होते हैं छोटे ही दुखी होते है .....
जवाब देंहटाएंअनचाहे कालों पर रोक लगाईं जानी चाहिए .... मेरे पास दिन में करीब २० फोन आते हैं और इसके अलावा मोबाइल कम्पनियों के सुबह से लेकर शाम तक ५०-६० अनचाहे काल आते हैं तो मै बहुत परेशान हो जाता हूँ ...
जवाब देंहटाएंwaise dekha jaaye to aaj ke waqt me wo hi dukhi nahi hai jiske baare mein hume pata nahi hai...
जवाब देंहटाएंMeri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....
A Silent Silence : Naani ki sunaai wo kahani..
Banned Area News : Deepika, Neil promote Lafangey Parindey in Mumbai
परेशान आदमियों की लिस्ट में मैं भी हूँ ! क्या करें ??
जवाब देंहटाएंमोबाईल कम्पनी वालों नें अब प्रणव दा को आम आदमी की परेशानी का अहसास करा दिया है तो शायद कुछ सुधार देखने को मिले.....
जवाब देंहटाएंअनचाहे कालों पर रोक लगाईं जानी चाहिए .
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