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बुधवार, 21 अप्रैल 2010

संसद में फिर गूंजी मैनपुरी की बदहाल रेल सेवायें


मंगलवार को संसद में एक बार फिर मैनपुरी की बदहाल रेल सेवाओं की गूंज रही। तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से जुड़ी इटावा मैनपुरी रेलवे परियोजना 13 वर्ष बाद भी पूरी न होने पर संसद में जनपद के सांसद रहे तथा वर्तमान में बदांयू के सांसद धर्मेन्द्र यादव ने आश्चर्य जताया और कहा कि केन्द्र सरकार मैनपुरी के साथ जानबूझ कर सौतेला व्यवहार कर रही है। सांसद ने मैनपुरी गजरौला तक नये रेलवे ट्रेक की मंजूरी मिलने के बाद मैनपुरी को इस योजना से हटाने की निंदा की और रेल मंत्री से मांग की कि मैनपुरी को तत्काल इस योजना से जोड़ा जाये।

मंगलवार को लोकसभा में सांसद धर्मेन्द्र यादव ने कहा कि वर्तमान रेलवे व्यवस्था बीस फीसदी उच्च वर्ग के लोगों का शिकार हो गयी है। बीस फीसदी लोगों के लिये अस्सी फीसदी सीटें रिजर्व हो जाती हैं और अस्सी फीसदी लोगों को बीस फीसदी रेल डिब्बों में यात्रा करनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि तत्काल जनरल बोगियों की संख्या बढ़ाई जाये। श्री यादव ने 13 वर्ष पूर्व 1996-97 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा द्वारा घोषित की गयी इटावा मैनपुरी के बीच 67 किलोमीटर लम्बी रेल लाइन पूरी न होने पर नाराजगी जाहिर की और कहा केन्द्र सरकार ने स्वीकृत 55 करोड़ के स्थान पर अब तक 15 करोड़ रुपये ही दिये हैं ऐसे में ये योजना कैसी पूरी हो। उन्होंने कहा कि इस नये रेलवे ट्रेक का शिलान्यास तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने किया था। शिलान्यास के मौके पर तत्कालीन रेल मंत्री ने इस रेलवे ट्रेक का उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति के हाथों ही कराने का वादा भी किया था। मगर अफसोस ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने मांग की कि इस रेलवे ट्रेक को जल्द शुरू कराया जाये। सांसद ने वर्ष 2008-09 में स्वीकृत हुयी मैनपुरी से एटा, एटा से बदांयू सम्भल, गजरौला तक नयी रेलवे लाइन में मैनपुरी को इस बजट में छोड़े जाने पर मांग की कि ये मैनपुरी के साथ अन्याय है। रेल मंत्री ने इस बजट से एटा से कासगंज का हिस्सा ही स्वीकृत किया है। सम्भल, गजरौला का भी हिस्सा स्वीकृत है। लेकिन मैनपुरी से एटा तक रेलवे लाइन को छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि मैनपुरी से गजरौला तक नयी रेल लाइन बने तो यूपी के मैनपुरी, एटा, कासगंज, बदांयू, मुरादाबाद, अमरोहा, सम्भल जिले के लोग विकास की दौड़ में शामिल हो जायेंगे। उन्होंने जोड़ा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री आईके गुजराल ने वर्ष 1997 में बदांयू में जाकर बरेली से कासगंज, बदांयू होते हुये रेलवे लाइन आमान परिवर्तन करने की बात कही थी मगर यह भी नहीं हुआ।

वैश्य एकता परिषद के प्रदेश अध्यक्ष आनंद स्वरूप अग्रवाल, सपा के प्रदेश सचिव प्रभाष मिश्रा आदि ने केन्द्र सरकार के इस कार्य को असहनीय बताया है और कहा है कि इटावा, मैनपुरी और मैनपुरी से गजरौला के ट्रेक को जल्द शुरू न कराया गया तो मैनपुरी के लोग सरकार के विरुद्ध आंदोलन करेंगे।

3 टिप्‍पणियां:

  1. यह २०% ही ८०% की जगह घेर लेते है ....ओर पेसे भी सरकार के खाते से जाते होंगे, मुझे तो कुछ समझ मै नही आता यह सब खेल

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  2. आपने सही मुद्दे को लेकर बहुत ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है! ये तो मेरे समझ के बाहर है आखिर ऐसा क्यूँ हो रहा है! न जाने ये कैसा खेल है और इसमें कौन कौन शामिल है!

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