अन्य ऋतुओं की तुलना में गर्मी के मौसम में कुछ ज्यादा ही बीमारियां पैदा होती है। एक सामान्य व्यक्ति यानी जिसे कोई बीमारी न हो, वह भी गर्मी के प्रकोप का शिकार हो सकता है। जैसे लू लगना आदि। वहीं जो लोग पहले से ही सांस की बीमारी , हाइपरथायरायड, डाइबिटीज या हाई ब्लडप्रेशर, हृदय रोगों, टीबी, पेट की तकलीफों आदि से पीड़ित हैं, उनमें गर्मी के कारण कई नई समस्याएं पैदा हो सकती है, जो जानलेवा बन सकती हैं। इस मौसम में लोगों को ये समस्याएं पैदा हो सकती हैं
धड़कन तेज होना या घबराहट होना।
थकान, नींद अधिक आना, सुस्ती या फिर रात में नींद न आना।
उलझन ।
पेट की तकलीफें जैसे पेट फूलना, जी मिचलाना, उल्टी, दस्त, भूख न लगना,एसीडिटी व गैस की शिकायत।
पेशाब में जलन या रुकावट। डीहाइड्रेशन के कारण कम पेशाब होना।
सिर दर्द, सिर भारी होना, चक्कर आना, और सीने का दर्द
गर्मियों में जीवाणुओं का संक्रमण व वाइरल इंफेक्शंस भी कई गुना बढ़ जाते है। जैसे सेप्टीसीमिया, हेपेटाइटिस, टाइफाइड, कोलाइटिस व गैस्ट्रोइंटेटाइटिस आदि। इसके अलावा मच्छरों के बढ़ने से मलेरिया, फाइलेरिया, डेंगू व चिकनगुनिया व कालाजार आदि बीमारियां फैलती है।
क्रॉनिक बीमारियां
जो व्यक्ति पहले से ही किसी लम्बी (क्रॉनिक)बीमारी से ग्रस्त हैं,उनकी शिकायतें भी गर्मी के प्रकोप से गंभीर हो सकती है जैसे-
डाइबिटीज के मरीज
भूख कम लगने से या जी मिचलाने, और उल्टी-दस्त के कारण इनका ब्लड शुगर कम हो सकता है(हाइपोग्लाइसीमिया)। इसके अलावा लापरवाही बरतने पर ब्लडशुगर का स्तर भी बढ़ सकता है(हाइपरग्लाईसीमिया)।
हृदय रोगी
गर्मियों में हृदय रोगी अधिक तनाव में रहते है। इसलिए उनमें एंजाइना व हार्ट अटैक की संभावनाएं बढ़ जाती है।
लू से बचाव के लिए धूप से बचाव करें और घर से निकलने से पहले ताजा भोजन करें। पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
खाने में तरल पदार्थ ज्यादा हो और ठोस कम। मट्ठा, दाल, कढ़ी, रसे की सब्जी, जूस, सूप, नींबू पानी, जलजीरा, आम का पना व दही व लस्सी आदि का सेवन करें।
ताजा खाना ही खाएं। बासी भोजन से बचें और फास्ट फूड्स से परहेज करें।
शरीर को ठंडा रखें। जैसे- बाहर निकलने से पहले स्नान करे। सिर पर गीला गमछा रखें। छाता इस्तेमाल करे।
थोड़ा-थोड़ा खाना बार-बार खाएं। एक साथ अधिक न खाएं, क्योंकि गर्मी के प्रकोप से पेट फूलता है और जी मिचलाता है।
मैदा, घी व डालडा आदि से परहेज करें।
जहां तक संभव हो कूलर, एसी, ठंडी जगह व खुली जगह में बैठे। कुछ न हो तो फर्श पर पानी डाल लें।
क्रानिक डिसीज(जैसे मधुमेह, हृदय रोग आदि) से ग्रस्त व्यक्ति असामान्य लक्षणों के प्रकट होते ही विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।
अगर बुखार अचानक तेज हो जाए,तो डॉक्टर के परामर्श से दवा लें।
डॉ. आरती लालचंदानी
(फिजीशियन व हृदय रोग विशेषज्ञ)
बहुत सुंदर जानकारियां दी आप ने, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसही समय पर सही सलाह दी है आपने । आशा है कि लोग अपना ध्यान रखेंगे ।
जवाब देंहटाएंमौसम के अनुरुप बेहतरीन सलाह!! यहाँ तो अभी गर्मी नहीं है मगर मेनू पढ़ कर मन ललच गया.
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