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शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010

एक माइक्रो पोस्ट :- मुझे जीने दो !!

मैं ना हिन्दू ना मुसलमान ; मुझे जीने दो !
दोस्ती है मेरा ईमान ; मुझे जीने दो !
कोई एहेसान ना करो मुझ पे तो एहेसान होगा;
बस इतना करो एहेसान , मुझे जीने दो !
ना मैं लेखक ना कवि ; ना बनना मुझे ब्लॉगर महान ;
मुझे जीने दो !!

2 टिप्‍पणियां:

आपकी टिप्पणियों की मुझे प्रतीक्षा रहती है,आप अपना अमूल्य समय मेरे लिए निकालते हैं। इसके लिए कृतज्ञता एवं धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।

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