नौसेना के अधिकारियों ने बताया कि हम करीब 30-35 साल पहले शामिल किए गए चेतक हेलीकाप्टरों की जगह आधुनिक डिजाइन और दो इंजन वाले हेलीकाप्टरों की तलाश कर रहे हैं। नौसेना ने इनके लिए हाल में ग्लोबल रिक्वेस्ट फार इनफारमेशन [आरएफआई] जारी किया है। विक्रेताओं से कहा गया है कि वे अपने उत्पादों का ब्योरा तीन हफ्ते के भीतर दें।
अगले कदम के तहत यूरोपियन कंसोर्टियम यूरोकाप्टर, इटैलियन अगुस्टा वेस्टलैंड और रशियन कामोव जैसे हेलीकाप्टर बनाने वाली अग्रणी कंपनियों को इस साल के मध्य तक ग्लोबल रिक्वैस्ट फार प्रपोजल [आरएफपी] जारी किए जाने की उम्मीद है।
ये कंपनियां पहले ही सेना और वायुसेना के फ्रांसीसी मूल वाले चीता [चेतक] बेड़े की जगह 197 एलयूएच की आपूर्ति हेतु 60 करोड़ अमेरिकी डालर के फील्ड परीक्षण में हिस्सा ले रही हैं। सेना और वायुसेना को अगले दशक में 384 एलयूएच मिलेंगे जिनमें से 197 विदेशी कंपनियों से खरीदे जाएंगे, जबकि शेष हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड द्वारा स्वदेश में निर्मित होंगे।
आरएफआई के तहत नौसेना चाहती है कि कि ऐसे हेलीकाप्टर उसके पास हों जिन्हें दो पायलट उड़ा सकें और साथ ही केवल एक पायलट भी उसके लिए पर्याप्त हो।
अधिकारियों ने बताया कि नए हेलीकाप्टरों का इस्तेमाल तलाशी एवं बचाव कार्य, हताहतों को निकालने, निगरानी तथा सीमित खुफिया जानकारी जुटाने के लिए किया जाएगा। हेलीकाप्टरों में आतंकवाद और समुद्री डकैती रोधी क्षमता के अलावा पनडुब्बियों को निशाना बनाने की काबिलियत भी होनी चाहिए। नौसेना समुद्र के उपर उड़ते वक्त बेहतर निगरानी के लिए दो इंजन वाले हेलीकाप्टर चाहती है।
हेलीकाप्टरों का इस्तेमाल समुद्र और समुद्र तट से बाहर दोनों जगहों के लिए किया जा सकेगा और वे छोटे से डैक से लेकर बडे डैक [विमान वाहक जहाज] से उडान भर सकेंगे। प्रतिकूल मौसम में दिन रात बर्फीली, जल, बालू और सतह कहीं से भी उनका परिचालन किया जा सकेगा।
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