प्रधानमंत्री कार्यालय ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत से जुडे़ एक मात्र उपलब्ध दस्तावेज को सार्वजनिक करने से इंकार कर दिया है। इसके लिए सूचना का अधिकार कानून [आरटीआई] के तहत गोपनीयता बरतने की व्यवस्था का हवाला दिया गया है।
शास्त्री जी की वर्ष 1966 में तत्कालीन सोवियत संघ के शहर ताशकंद में रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। उनकी मौत का रहस्य अब भी नहीं सुलझा है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के इंकार के बाद अब शास्त्री जी की मौत से जुड़े इस दस्तावेज को सार्वजनिक करने के लिए केंद्रीय सूचना आयोग के पास अपील की जाएगी। इससे पहले केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने शास्त्री जी की मौत से जुड़ी जानकारी पाने के लिए आरटीआई के तहत दायर याचिका ठुकरा दी थी। उन्होंने माना था कि पूर्व प्रधानमंत्री की मौत से जुड़ा एक दस्तावेज प्रधानमंत्री कार्यालय में है। यह याचिका 'सीआईएज आई आन साउथ एशिया' नामक पुस्तक के लेखक अनुज धर ने दी थी। यहाँ यह बताना जरूरी है कि यह वही अनुज धर है जिन्होंने नेताजी सुभाष चंद बोस की गुमशुदगी के रहस्य के विषय में भी काफी शोध किया है और तो और श्री धर के प्रयासों के चलते ही सरकार को बाध्य हो कर मुख़र्जी आयोग को ताइवान जाने की अनुमति देनी पड़ी थी |
फैसले के खिलाफ उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय में अपील की थी। इसके जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय की संयुक्त सचिव विनी महाजन ने कहा कि मांगे गए दस्तावेज को आरटीआई की धारा 8 [1] [ए] के तहत गोपनीय रखा जाना सही है।
वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद शास्त्री जी ताशकंद गए थे। वहां पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ उन्होंने वार्ता की थी। दोनों देशों की संयुक्त घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने के कुछ ही देर बाद रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मौत हो गई थी।
यह हम सब के लिए बहुत ही शर्म की बात है के अपने ही देश के पूर्व प्रधानमंत्री की मौत का कारण जानना इतना कठिन हो रहा है | और तो और यह भी समझ के परे है कि सरकार कौन से कारणों का हवाला दे रही है जिन की वजह से इस मामले को दबाया जा रहा है 'गोपनीयता बरतने की व्यवस्था' के नाम पर ??
आज पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के जन्मदिन के अवसर पर मैं सभी मैनपुरी वासीयों की ओर से उनको शत शत नमन करता हूँ |
भारतीयों के लिये अफसोसजनक बातें. शास्त्री जी को नमन...
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा जानकारीपूर्ण आलेख ...
जवाब देंहटाएंमहात्मा गाँधी और लाल बहादुर जी को जयंती अवसर पर शत शत नमन
महात्मा गाँधी और लाल बहादुर जी को जयंती पर शत-शत नमन. बहुत उम्दा आलेख
जवाब देंहटाएंसरकारी बंदिशों के बारे में सरकार जाने.. कई देशप्रेमी इस सच्चे सपूत को याद भी नहीं करते आज के दिन. अच्छा भी है. अगर याद करने लगता देश शास्त्री जी को भी, तो उनको याद करना भी सिर्फ एक फ़ॉर्मेलिटी बनकर रह जाता. शास्त्री जी लोगों के दिल में ज़िंदा रहें, यही बहुत है. श्रद्धान्जलि!!
जवाब देंहटाएंदो अक्टूबर को जन्मे,
जवाब देंहटाएंदो भारत भाग्य विधाता।
लालबहादुर-गांधी जी से,
था जन-गण का नाता।।
इनके चरणों में श्रद्धा से,
मेरा मस्तक झुक जाता।।
यह धरती लालों की जननी ,लालों में लाल समादर थे ,
जवाब देंहटाएंछोटे कद में बड़े हुए जो , ऐसे " लाल बहादुर " थे
लाल बहादुर शास्त्री जी को मेरा शत-२ नमन और शिवम जी आपका भी आभार
महक
इस महान आत्मा को हार्दिक श्रद्धांजलि !
जवाब देंहटाएंआज भी उनकी म्रत्यु रहस्य ही बनी हुई है ...
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी को नमन
बहतु सटीक लिखा आपने .. आभार !!
जवाब देंहटाएंसिवम बाबू..बहुत सराहनीय काम कर रहे हैं आप!! हर घटना,उपलक्ष्य का अनोखा पक्ष आप प्रस्तुत करते हैं..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
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