सदस्य

 

बुधवार, 6 अक्टूबर 2010

करो चापलूसी.........मगर ध्यान से !!


यह नजारा है पश्चिम बंगाल में मेदिनीपुर जिले के खड़गपुर का। बुधवार को यहां केंद्रीय रेल मंत्री ममता बनर्जी को आना है। उन्हीं के स्वागत में उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने यह द्वार बनवाया है। इसमें उनके बांग्ला के प्रचलित नाम ममता बंधोपाध्याय के आगे श्रीमती जोड़ दिया गया, जबकि ममता अविवाहित है !

अब ऐसे में तो यही कहा जायेगा ना .....करो चापलूसी.........मगर ध्यान से !!

13 टिप्‍पणियां:

  1. हम लोग तो उस देश में रहते है जहा पर चापलूसी करते हुए लोग नेताओ को भगवान के रूप में प्रदर्शित कर देते है वो भी सोच समझ कर जानबूझ कर यहाँ तो बस गलती से कि गई गलती है |

    जवाब देंहटाएं
  2. सिवम बाबू… अरे आप तो कलकतिया हैं..बंगाल में सुश्री नहीं होता है.. स्रीमती होता है.. महारास्ट्र में भी देखिए... स्रीमती लता मंगेसकर को जन्मदिन का बधाई लिखता है लोग..ऊ भी अबिबाहित हैं!!!

    जवाब देंहटाएं
  3. अब क्या कहे जी, इस चापलुसी ने इस देश का सत्यनाश कर दिया हे

    जवाब देंहटाएं
  4. सलिल भाई ,
    'श्रीमती' तो किसी भी हालत में नहीं लिखा जा सकता ... हाँ ... कुमारी का प्रयोग हो सकता है ! मेरी कलकत्ता भी बात हुयी थी वहाँ से भी यहीं पता चला |हाँ एक कारण यह भी हो सकता है ....कि ममता जी की उम्र काफी है इस लिए शायद 'कुमारी' ना लिखा गया हो नहीं तो आम तौर पर 'श्रीमती' केवल विवाहित महिलाओ के नाम के आगे ही लगाया जाता है !

    जवाब देंहटाएं
  5. सिवम बाबू , जहाँ से भी आपको ये जानकारी मिला है, हमरे हिसाब से गलत है. उमर का तो कोनो सम्बंध नहीं है..जब ऊ जुबा कॉन्ग्रेस की नेत्री थीं तब से उनके नाम के आगे वहाँ श्रीमती लगाया जाता रहा है...

    जवाब देंहटाएं
  6. तमिलनाडु में भी जयललिता के नाम के आगे तिरुमति (श्रीमती का तमिल रूप)लिखते हैं... हिंदी पट्टी को छोड़कर यह प्रचलन मेरे संज्ञान में कहीं नहीं है, कम से कम तीन प्रदेश के बारे में जो हम जानते हैं...

    जवाब देंहटाएं
  7. सिवम बाबू, देखिये एगो मराठी ब्लॉग का प्रस्तावना...

    लताबाई' हे याच पुस्तकातलं श्रीमती लता मंगेशकरांचं व्यक्तिचित्र. या दोन उत्तुंग व्यक्तिमत्त्वांतलं जिव्हाळ्याचं नातं समोर आणणारं. शांताबाईंनी लतादीदींबद्दल लिहिलेला हा सुंदर लेख लतादीदींच्या सहस्रचंद्रदर्शनसोहळ्यानिमित्त पुनर्प्रकाशित करत आहोत.

    जवाब देंहटाएं
  8. सलिल भाई ,
    मज़ा आ गया .... कम से कम इसी बहाने इतनी जानकारी तो मिली ! आपका बहुत बहुत आभार !

    जवाब देंहटाएं
  9. सलिल जी की बात सोलह आने सही है। श्रीमती सर्वमान्य है, इसका विवाह से कोई सम्बन्ध नहीं है। ब्लॉग जगत में इस पर पहले भी चर्चायें हो चुकी हैं।

    जवाब देंहटाएं
  10. बताओ भला...ऐसी भी भूल हो जाती है...

    जवाब देंहटाएं
  11. इस जहां की यही रीत है...

    शिवम नेताओं के नाम पर चालीसा, मंदिर, दुर्गा-कृष्ण-राम की तरह दिखाने से तो ये भूल कहीं प्यारी है...

    सुश्री तो सुना था सभी महिलाओं के नाम के साथ लगाया जा सकता है, श्रीमती लगाना आज मुझे भी पहली बार पता
    चला है...

    और ये चाटुकारिता की तौलन प्रतियोगिता तो हर जगह चलती है...ब्लॉगिंग भी इससे अछूती नहीं है...

    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियों की मुझे प्रतीक्षा रहती है,आप अपना अमूल्य समय मेरे लिए निकालते हैं। इसके लिए कृतज्ञता एवं धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।

ब्लॉग आर्काइव

Twitter