एक शेर याद आया है पर किस का है यह याद नहीं ... आज के मौके पर आप सब की नज़र है !!
बुत बना रखें है ...नमाज़ भी अदा होती है ;
दिल मेरा दिल नहीं ...खुदा का घर लगता है !!
दिल मेरा दिल नहीं ...खुदा का घर लगता है !!
पूरे दिन में हमारे साथ जो जो होता है उसका ही एक लेखा जोखा " बुरा भला " के नाम से आप सब के सामने लाने का प्रयास किया है | यह जरूरी नहीं जो हमारे साथ होता है वह सब " बुरा " हो, साथ साथ यह भी एक परम सत्य है कि सब " भला " भी नहीं होता | इस ब्लॉग में हमारी कोशिश यह होगी कि दिन भर के घटनाक्रम में से हम " बुरा " और " भला " छांट कर यहाँ पेश करे |
वाह …………क्या खूब कहा है।
जवाब देंहटाएंबड़ा प्रेरक और भावनात्मक शेर लिखा है आपने ....
जवाब देंहटाएंपढ़कर अच्छा लगा और ख़ुशी भी हुई .
बहुत बढ़िया सामयिक शेर ...वाह
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया
जवाब देंहटाएंदिल है कदमो पर किसी के सर झुका हो या न हो
जवाब देंहटाएंबंदगी तो अपनी फितरत है, खुदा हो या न हो !!
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंवाह्! बहुत खूब....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंमध्यकालीन भारत - धार्मिक सहनशीलता का काल, पढिए!
बढ़िया प्रस्तुति .......
जवाब देंहटाएंअच्छी पंक्तिया लिखी है ........
इसे पढ़े और अपने विचार दे :-
क्यों बना रहे है नकली लोग समाज को फ्रोड ?.
बच्चा बोला देखकर,मस्जिद आलीशान,
जवाब देंहटाएंएक अकेले ख़ुदा को,इतना बड़ा मकान!
- निदा फ़ाज़ली
भले विचार आपकी भली बातें,
जवाब देंहटाएंहोती रहेंगी अब तो मुलाकातें।
इन सभी धर्म के ठेकेदारों को खदेड़कर
जवाब देंहटाएंनिर्धनों के लिए एक चिकित्सालय बनवाना चाहिए था!