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शनिवार, 29 मई 2010

क्या गलत कहा था मैंने..................शहादत का धर्मं नहीं होता ??







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आज एक आजीब घटना हुयी मेरे साथ .................समझ नहीं पाया क्या वजह रही होगी जो ऐसा करने पर वह मजबूर हुयी |

मैं एक खुले दिल और दिमाग वाला आदमी हूँ ज्यादा छल प्रपंच ना मैं कर पाता हूँ ना मुझे समझ आते है | जो बात अच्छी लगी सो बोल दी जो बुरी लगी वह भी बोल दी ...........................यहाँ शायद गलती हो जाती है ..............जो बात बुरी लगे उसको दिल में रखो ..................बोलो मत ...................यही कानून है ना आज के दौर का !!

खैर साहब मुद्दे पर आता हूँ , आज अलग अलग ब्लोगों को पढ़ते पढ़ते मेरा फिरदौस खान जी के ब्लॉग पर भी जाना हुआ , उनकी आज की पोस्ट काफी बढ़िया थी पर ना जाने क्यों एक बात बार बार मुझे खलती रही कि जब यहाँ बात शहादत की हो रही है तो इस में भी धर्मं क्यों घुसाया जा रहा है ??

शहादत तो साहब शहादत है .............क्या हिन्दू की .........क्या मुसलमान की ..............या किसी की भी | "वतन पर मरने वाला हर वीर था भारत वासी"..............................यही सुना था बचपन से ................ आज वह भारत वासी अचानक मेरे सामने कर अपने आप को हिन्दू या मुसलमान या सिख या इसाई साबित करने लगे तो क्या हैरत नहीं होनी चाहिए मुझको ??

क्या जरूरी है कि हम हर जगह धर्म का चोगा धारण करें ?? अगर शहादत को भी हम धर्म का चोगा धारण करवाने लगे तो क्या होगा इस देश का ??

मेरे लिए सब धर्म एक सामान है ...............कोई छोटा या बड़ा नहीं !! आज पता नहीं क्यों मुझे भी एक कट्टरवादी हिन्दू कहा गया जबकि जो मुझे जानते है वह इस बात कि गवाही दे सकते है कि मैंने अपने ब्लॉग पर कभी भी किसी भी धर्मं या समुदाय के खिलाफ कुछ भी नहीं लिखा है .........................जिन लोगो को मेरी नीयत पर शक है वह पूरी तसल्ली से मेरे ब्लॉग की हर एक पोस्ट को पढ़ सकते है | मैंने लगभग हर पोस्ट पर आपको केवल कुछ ना कुछ जानकारी देने की कोशिश ही की है कभी भी गुमराह करने की कोशिश नहीं की | आज कुछ साथीयो ने बिना कुछ सोच जाने क्या क्या आरोप नहीं लगाये मेरे बारे में | एक बार मेरे ब्लॉग पर आ जाते जान तो लेते मैं क्या सोचता हूँ ...............क्या लिखता हूँ ............... बस मेरी २ टिप्पणियां जो वहाँ दिखी क्या वह काफी थी मेरे बारे में कोई भी राय बनने के लिए ...............................मैंने तो वहाँ और भी कुछ कहा था क्या आपने वह पढ़ा ..............नहीं ..................नहीं पढ़ा होगा .....................वहाँ मेरी सोच को दर्शाने वाली टिपण्णी हटा दी गयी थी एक बार नहीं २ बार छप जाने के बाद .................जबकि ज्ञात हो वहाँ मोदेरेसन चालू है | मैंने ना जाने क्यों उन टिप्पणियों को सेव कर लिया था, शायद इसी को सिक्स्थ सेन्से कहते हो !! आज जिस तरह से तथ्यो को छिपाया गया है केवल मुझे एक और ही रूप देने के लिए उसकी वजह समझ से परे है जब आपके ब्लॉग पर मोदेरेसन चालू है तो आपने पहले मेरी टिप्पणियों को छापा ही क्यों ?? और बाद में किन कारणों से उन टिप्पणियों को मिटाया गया ??

खैर साहब यहाँ ऊपर उन टिप्पणियों को लगा रहा हूँ ताकि अपनी बात साफ़ साफ़ सबूतों के साथ कह सकू वहाँ तो मेरी कही हुयी बात भी मिटा दी जाती है !!!!

एक बेहद जरूरी बात ---------- मेरी इस पोस्ट को कृपया कर कोई भी नामी या बेनामी ब्लॉगर साथी धार्मिक रंग में ना रंगें | यह पोस्ट सिर्फ़ मैंने अपनी बात साफ़ साफ़ कहने के लिए लगाई है | जो फिरदौस जी के ब्लॉग पर मुझे कहने नहीं दी गयी ................... ना जाने किस कारण से !!


और हाँ मैं कट्टरवादी हूँ ..........................मैं एक कट्टरवादी इंसान हूँ ...................मैं एक कट्टरवादी हिन्दुस्तानी हूँ ........................... जब जब मेरे 'कट्टरवाद' को ललकारा जायेगा मैं और 'कट्टर' बनुगा ...............यह वादा है आपने आपसे और आप से भी !!


जय हिंद !!


10 टिप्‍पणियां:

  1. शिवम् जी, अपना तो बस वह जाट वाला डंडा चलता है, चाहे कोई भी हो, जो सच है उसे बोलने कभी कोई हिचक नहीं होनी चाहिए , दिल ने कहा ये गलत है तो गलत है, बाकी दुनिया गई भाड़ में ! आपने कुछ भी गलत नहीं कहा , और हां गर्व से कहो की मैं एक कट्टर हिन्दू हूँ , यानी इंसानियत को परखना जानता हूँ !

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  2. Shivam ji maaf kijiyega fir se english font use kar raha hun....aapki baat se poori tarah sehmat hun...jab tak ham jaise padhe likhe log is doori ko kam karne ka prayas nahi karenge ...kuch achcha nahi ho paayega...aapas me hi lad marenge....

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  3. शिवमजी; आपका लेख पढ़ा. कहीं कोई गलत नहीं लिखा है आपने. जहाँ तक मेरे बारे में सवाल है कि मुझे आपके बारे में गलत जानकारी दी गई है; मैं एक बात स्पष्ट कर दूँ कि आपकी टिप्पणी के बाद ही मैंने आपका ब्लॉग देखा. इससे पहले मैं आपको नहीं जानता था. फिरदौसजी का लेख भी मैंने पढ़ा. अब आप दोनों में क्या बहस चल रही थी मैं इसकी गहराई में नहीं गया हूँ. मैं हमेशा से इस बात में यकीन करता हूँ कि हर व्यक्ति को सबसे पहले एक इंसान बनना चाहिये. इसके बाद एक भारतीय होना चाहिये. धर्म इन दोनों के बाद आना चाहिये. इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है. अगर हम इंसान बन जाते हैं तो दुनिया में कहीं भी कोई विवाद नहीं रहेगा. इसके अलावा मैं और कोई बात में यकीन नहीं रखता.
    आपने मेरी कविता को सराहा यह बात यह साबित कर देती है कि आप भी इंसानियत धर्म में ही यकीन रखते हैं.
    इंसान का इंसान से हो भाई चारा
    यही पैगाम हमारा यही पैगाम हमारा

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  4. छोटी सोच के लोग अक्सर शहीदों को धर्मों में बाँटकर उनका दायरा सीमित करते हैं, जैसे कि महाराष्टीयन कहते हैं शिवाजी हमारे, पंजाबी कहते हैं गुरू गोबिंद सिंह जी हमारे। कभी किसी ने सोचा कि हमारा कहकर उन महान पुरुषों का दायरा अपनी सोच जितना कर देते हैं, हम कभी नहीं कहते कि हम उनके हैं, शहीद तो शहीद है, धर्म में बाँटकर उनका दायरा छोटा न कीजिए।

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  5. लीजिये साहब.... हिंदुस्तान दुनिया का सबसे बड़का लोक तंत्र है.... धर्म निरपेक्ष भी है... आखिर लोक तंत्र में बोलने और अपनी बात को आगे रखने की स्वतंत्रता की असली व्याख्या क्या है| पत्र पत्रिका, समाचार चैनल... मीडिया और मैं ब्लॉग को भी इसमें जोड़ रहा हूँ क्योंकि राजनीति, धर्म और सभी विवादित मुद्दों पर ब्लोगिंग पर भी जम कर लिखा जा रहा है| अच्छे अच्छे समाचार चैनलों के कम करने वाले लोग अपने ब्लोग्स पर अपनी निजी विचारधारा को परोस देते हैं... वैसे कहीं से भी गलत नहीं है...

    मगर ब्लॉग पर कोई पोस्ट डालना और फिर उसके बाद टिपण्णीकारों की टिपण्णी को अपने हिसाब से फेर बदली कर लेना.... मतलब मीठा मीठा गप्प और खरा खरा थू थू.... वाली बात इम्प्लेमेंट कर देना ना सिर्फ खिलवाड़ है और यह एक बहुत गन्दा मजाक है.... यार आपने तो इंसानों की गिनती करने को लिखा.... हिन्दू या मुस्लमान नहीं.... बिलकुल सही है ना हमेशा से शहीद हमारे लिए शहीद ही रहा है.... उतनी ही श्रद्धा है भगत सिंह के लिए जितनी अशफाकुल्ला खान के लिए.... आज तक कभी हमने ऐसा नहीं सोचा.... हमेशा इन्सान को इंसान ही समझना... यही सच्चा हिन्दू धर्म है और यही सच्चा इस्लाम भी है.... हर बात के सकारात्मक पहलु को ही लेना हितकारी है.... वहां तो इन्होने आपकी टिपण्णी को डिलीट करके और फिर पोस्ट को कहेंगे करके... अपनी वास्तविकता का परिचय दे ही दिया है..... केवल क्षद्म आदर्शवाद ही दिख रहा है फिलहाल तो....

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  6. शिवम भाई ,
    सिर्फ़ एक पोस्ट पढ कर , एक टिप्पणी पढ कर किसी को भी किसी मानसिकता का ठहरा देने का कुछ फ़ैशन सा चल पडा है । इसलिए यदि आपको कहा गया तो कोई आश्चर्य नहीं है ।
    रही बात मूल मुद्दे की , कि शहीदों का कोई धर्म नहीं होता । बिल्कुल ठीक कहा आपने ये भी ठीक उसी तरह से जैसे बंदूक की गोली भी लगने से पहले किसी का धर्म और जाति नहीं पूछती है । अपने मन की बार सीधे सीधे यहां रख कर अच्छा ही किया आपने

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  7. शहादत तो साहब शहादत है .............क्या हिन्दू की.........क्या मुसलमान की ..............या किसी की भी | "वतन पर मरने वाला हर वीर था भारतवासी"..............................यही सुना था बचपन से................ आज वह भारत वासी अचानक मेरे सामने आकर अपने आप को हिन्दू या मुसलमान या सिख या इसाईसाबित करने लगे तो क्या हैरत नहीं होनी चाहिए मुझको??

    यह बात तो एकदम सही है..... कि ...शहादत तो शहादत है..... शहादत और शहीदों का कोई धर्म नहीं होता.... और शहीदों को धर्म में में भी नहीं तौला जा सकता..... मैं फिर आता हूँ ज़रा फ़िरदौस की पोस्ट भी देख लूं....

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  8. माफ़ी चाहता हूं शिवम भाई, कुछ व्यस्त रहने की वजह से यहां जिन पोस्ट का ज़िक्र किया गया है, मैं उन्हें पढ़ नहीं पाया...पहली बात तो आपसे मेरा जितना भी संवाद हुआ है, आपने हमेशा इनसानियत की ही बात की है...कभी इनसानों को मज़हब के चश्मे से नहीं देखा...और जो ऐसा करते हैं वो खुद माओपिया (दृष्टिदोष) के शिकार होते हैं...

    न जाने क्यों ब्लॉगिंग में जानबूझकर विवादों को जन्म देने की कुछ लोगों की फितरत बनती जा रही है...अपना तो
    हमेशा फंडा रहा है...

    इनसान का हो इनसान से भाईचारा,
    यही पैग़ाम हमारा, यही पैग़ाम हमारा...

    जय हिंद...

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  9. बहुत ही सुन्दरता से आपने सच्चाई को प्रस्तुत किया है! हमारे देश में विभिन्न जाति के लोग रहते हैं पर मेरा ये मानना है कि हमें किसी भी तरह के भेद भाव नहीं करनी चाहिए और इस बात को कभी नहीं देखना चाहिए कि वो हिन्दू,मुस्लिम या अन्य धर्म के हैं! हम भारतवासी हैं और आपस में भाईचारा न हो तो हमारा देश कभी प्रगति नहीं कर सकेगा! जो लोग शहीद होते हैं वो भारतीय हैं और उन्हें किसी भी मज़हब का नाम नहीं देना चाहिए! भगवान तो आखिर एक ही हैं और कोई कृष्ण भगवान की पूजा करते हैं, कोई गुरु गोविन्द जी की तो कोई महाराष्ट्र सिर्फ़ मराठी के हैं ऐसा कहना और सोचना बहुत ही गलत बात है! आपका हर एक पोस्ट बहुत ही बढ़िया लगता है! ये आपका सबसे बेहतरीन पोस्ट रहा!

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  10. बहुत ही सुन्दरता से आपने सच्चाई को प्रस्तुत किया है! हमारे देश में विभिन्न जाति के लोग रहते हैं पर मेरा ये मानना है कि हमें किसी भी तरह के भेद भाव नहीं करनी चाहिए और इस बात को कभी नहीं देखना चाहिए कि वो हिन्दू,मुस्लिम या अन्य धर्म के हैं! हम भारतवासी हैं और आपस में भाईचारा न हो तो हमारा देश कभी प्रगति नहीं कर सकेगा! जो लोग शहीद होते हैं वो भारतीय हैं और उन्हें किसी भी मज़हब का नाम नहीं देना चाहिए! भगवान तो आखिर एक ही हैं और कोई कृष्ण भगवान की पूजा करते हैं, कोई गुरु गोविन्द जी की तो कोई महाराष्ट्र सिर्फ़ मराठी के हैं ऐसा कहना और सोचना बहुत ही गलत बात है! आपका हर एक पोस्ट बहुत ही बढ़िया लगता है! ये आपका सबसे बेहतरीन पोस्ट रहा!

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