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मंगलवार, 1 जून 2010

आज का पत्रकार

में आज का पत्रकार ।
मुझे गरीबों की मजबूरी से क्या सरोकार । ।
जीता हूँ ,मैं रईशों की जिंदगी ।
बिन AC मेरा जीवन बेकार । ।
मैं तो करूंगा चापलूसी उसकी।
कमाई होगी ऊपरी जिसकी । ।
पैसा ईमान मेरा भगवान् मेरा ।
बिन पैसा , मेरा जीवन बेकार । ।
मैं देख कर भी नहीं देखता अपराध , भ्रस्टाचार ।
जब तक आता रहे मेरा टैक्स हर बार ।

(नोट : आज के भ्रष्ट पत्रकारों को समर्पित एक लघु रचना । )
पाठक बताएँ ये संहारक है या नहीं

5 टिप्‍पणियां:

  1. आज के भ्रष्ट पत्रकारों का सही रुप, बहुत सुंदर लगा. धन्यवाद

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  2. आपके परिचय के बाद कुछ अइसने उम्मीद कर रहे थे हम लोग.. एक दम सच उजागर किए हैं.

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  3. कैसे कहें की मीडिया बिका हुआ है.....
    अच्छी और सार्थक रचना.

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  4. बहुत खूब शर्मा जी ....................पहली पोस्ट की बहुत बहुत बधाइयाँ | युही लिखते रहिये! हमारी शुभकामनाएं आपके साथ है !

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